स्नैपचैट की रिसर्च से सामने आए लखनऊ के टॉप निकनेम्स (उपनाम), दो अनूठे ऑग्मेन्टेड रिएलिटी(।त्) लैंस पेश किए

0
498

अवधनामा संवाददाता
● छोटू, नवाब, गोलू, बाबू और अनु जैसे निकनेम्स लखनऊ में ज्यादा प्रचलित

लखनऊ। दोस्तों और परिवारों के लिए विजुअल मैसेजिंग ऐप स्नैपचैट ने यू गोव के सहयोग से कराए अपने नए अध्ययन के नतीजे आज जारी किए। भारत में निकनेम (उपनाम) रखने की अपनी एक खास संस्कृति है और इस अध्ययन से देश में उपनामों को लेकर दीवानगी का खुलासा हुआ है।
कनिष्क खन्ना, डायरेक्टर मीडिया पार्टनर शिप्स एपीएसी, स्नैप इंक. ने कहा, निक नेम्स हम भारतीयों की जिंदगी का अहम हिस्सा होते हैं और हमारे असल कनेक्शंस यानि हमारे दोस्तों या परिवार जनों द्वारा दिए गए होते हैं। हम भारतीयों के निकनेम्स के बारे में कुछ रोचक पहलुओं को उजागर करना चाहते थे यानि अजीबो गरीब से लेकर अटपटे नाम, रोमांटिक और कभी हास्यास्पद नाम तक, अब यह कस्टम निक नेम एआर अनुभव यूजर्स को अपनी जिंदगी के नजदीकी सर्कल के और करीब आने तथा निक नेम्स शेयर करने का मजा भी दिलाएगा।
इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि देश में सबसे ज्यादा लोकप्रिय उपनामों में सोनू, बाबू, माचा, शोना और पिंकी हैं, इसके अलावा उपनामों को रखने की परंपरा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी सामने आए हैा। यहां तक कि इस अध्ययन ने स्नैपचैट पर दो नए निकनेम-थीम आधारित ऑग्मेंटेड रिएलिटी (एआर) लैंस को भी प्रेरित किया है, ये हैं ‘इंडियाज टॉप निक नेम्स’ और‘माय निकनेम’।
पहले इंटरेक्टिव एआर लैंस के तहत ‘इंडियाज टॉप निकनेम्स’ में पांच अनूठे डिजाइनों को पेश किया है इतना ही नहीं, पहली बार भारतीय अपने नए उपनाम गढ़ने के लिए‘माय निकनेम’ लैंस की मदद ले सकते हैं। यानि, अब गुड्डू, सनी और टिंकू से लेकर एंजेल और बेबी तक, नए कस्टम एआर अनुभव को स्नैप चौटने खास उद्देश्य से तैयार किया है, ताकि यूजर्स अपने निक नेम्स को लेकर गर्व से भर सकें और अपने प्रियजनों के साथ उन्हें शेयरकर उपनामों का जश्न मना सकें।
इस सर्वे से खुलासा हुआ है कि ज्यादातर भारतीय और युवा मिलेनियल्स अपने उपनामों का ऑनलाइन इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। इसके पीछे कारण हैं खुद को कूल दिखाना, अपनी प्राइवेसी सुरक्षित रखना और एक कारण यह है कि इन उपनामों को याद रखना भी आसान होता है। इसलिए इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि 96ः भारतीय ऐसे हैं जिन्होंने अपने जीवन में कभी न कभी निक नेम का इस्तेमाल जरूर किया होता है।
लोकप्रियता को छोड़ दें तो भी यह जानना दिलचस्प है कि प्यार-दुलार से रखे गए ये उपनाम भारतीयों को अपने बारे में एक अलग अहसास से भरते हैं और साथ ही, यह भी कि वे दूसरों के साथ कैसे इंटरेक्ट करते हैं। पचास फीसदी से अधिक प्रतिभागियों ने बताया कि उनके जीवन में दो से तीन उपनाम तक रह चुके हैं। भले ही आपको यह बात पता हो या नहीं, मगर सच यह है कि ये उपनाम गर्व का भी विषय होते हैं, क्योंकि सिर्फ 15ःने ही कहा कि वे सार्वजनिक रूप से अपने उपनामों को इस्तेमाल करने पर शर्मिंदगी महसूस करते हैं।
निक नेम्स से मिलती है कनेक्शन बनाने में मदद
जितने भी लोगों के कभी न कभी उपनाम रहे हैं, उनमें से 60ःने इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें ये नाम बचपने में या स्कूली पढ़ाई के दिनों में मिले थे। लेकिन कइयों के उपनाम तो स्कूली पारी शुरू करने से भी पहले के हैं और अब तक चले आ रहे हैं, जो उस व्यक्ति की पहचान से जुड़े शुरुआती सफर की ओर इशारा करता है।
स्नैपचैट पर ये दो निकनेम लैंस 21 जून से उपलब्ध होंगे। लैंस कैरोसेल में‘माय निक नेम ’ और‘ टॉप निक नेम्स’ सर्च करें और फोन को अपने चेहरे की दिशा में घुमाएं। फिर देखिए कि कैसा मजेदार अनुभव आप को मिलता है।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here