लखनऊ : 20 अक्टूबर – विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित नाजिम साहब के इमामबाड़े से जुलूस शुरू हुआ। नाजिम साहब के इमामबाड़े से निकलकर ये जुलूस तालकटोरा कर्बला जाकर संपन्न हुआ। इमामबाड़ा नाजिम साहब में दोपहर 1:30 बजे मजलिस को इमाम-ए-जुमा मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद नकवी ने खिताब किया।
पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन (अ.स) समेत कर्बला के 72 शहीदों की याद में निकले चेहल्लुम के जुलूस में अंजुमन-ए-अब्बासिया इमामिया के सहाबे बयाज सैयद हसन ने जैसे ही ये अशहार पढ़े, तो सोगवार बिलख-बिलख कर रोने लगे।
‘रोने से अहले बैत के महशर हुआ बपा, हिलती थी कर्बला’।
‘चेहल्लुम हुआ तमाम,… चेहल्लुम हुआ तमाम
शहर की करीब 175 मातमी अंजुमनें सीनाजनी करती हुईं अपने-अपने अलम के साथ जुलूस में शरीक हुईं।
जुलूस निर्धारित मार्ग विक्टोरिया स्ट्रीट से नक्खास तिराहा, टूडिय़ागंज, हैदरगंज, बुलाकी अड्डा, ऐवरेडी चौराहा से कर्बला तालकटोरा पहुंचा।
मजलिस संपन्न होते ही इमामबाड़े से जुलूस के निकलने का सिलसिला शुरू हो गया। इस जुलूस में शहर की तमाम मातमी अंजुमन अपने अलम के साथ नौहाख्वानी व सीनाजनी करती नजर आई| ये जुलूस नाजिम साहब के इमामबाड़े से निकलकर नक्खास चौराहा, टूरियागंज, हैदरगंज, बुलाकी अड्डा, एवरेडी चौराहा होते हुए तालकटोरा कर्बला में संपन्न हुआ।
जुलूस में हजरत अब्बास की निशानी अलम, हजरत इमाम हुसैन के छ: माह के बेटे हजरत अली असगर का गहवारा और हजरत इमाम हुसैन की सवारी का प्रतीक जुलजनाह शामिल रहे। अकीदतमंदों ने बर्रुकात की जियारत कर दुआएं मांगी।
इस जुलूस में एक मंज़र इस बार देखने को मिला, नाज़िम साहेब के इमामबाड़े के पास “है हाथ मिंन्जज जिल्लाह” की सबील पर नज़र गई |
जुलूस जैसे ही आगे बढ़ा मर्द ख्वातीन और बच्चे मातम करते हाथ में बैनर और प्ले कार्ड लिए लब्बैक या ज़ैनब, लब्बैक या ज़ैनब, सालार ए ज़ैनब, लब्बैक या हुसैन और मातम करते हुवे चल रहे थे
काफिला-ए-बनी असद की करवाई जियारत
अंजुमन महमूदाबाद ने कर्बला के शहीदों की याद में कर्बला तालकटोरा में बनी असद का काफिला निकाला। इमाम हुसैन की सवारी का प्रतीक दुलदुल, अलम, अली असगर का झूला और कफनी पहने सोगवार काफिले में शामिल रहे।
चेहल्लुम के दिन इराक स्थित नजफ शहर से कर्बला शहर तक अजादार पैदल सफर करते हैं। इसी की याद में हजरतगंज स्थित शाही नजफ से बड़ी तादात में लोग तालकटोरा की कर्बला पैदल चले। इसमें औरतें और बच्चों के साथ ही पुरुष भी शामिल रहे।
वहीं, रुस्तमनगर स्थित नजफ से सिर्फ बुर्कानशीं महिलाएं लब्बैक या हुसैन… लब्बैक या हुसैन की सदाओं के साथ इकट्ठा होकर जुलूस में शामिल हुईं।