गोरखपुर। (Gorakhpur) कभी पैमाइश, कभी जांच तो कभी जमीन मकान से जुड़े अन्य मामलों में आम जनता हलकान हो रही है । शहर के इलाहीबाग, मिर्जापुर, रकाबगंज, जाफ़रा बाजार, इस्लामचक, नसीराबाद, खोखरटोला समेत शहर के पश्चिमी इलाके में स्थित वक़्फ़ की सम्पतियों में हेराफेरी व सम्बन्धित मतवल्ली से सांठगांठ कर अपराधियों और भूमाफियाओं को लाभ पहुंचाने का मामला अक्सर प्रकाश में आता है। गोरखपुर जिले में लगभग 1450 वक़्फ़ हैं। वक़्फ़ के नाम पर शहर भर में सैकडों एकड़ जमीन दर्ज है जिनपर हमेशा लोगों की नज़र रहती है। इन सैकड़ों एकड़ वक्फ संपत्तियां में हेरफेर के लिए स्थानीय लेखपालों की भूमिका हमेशा संदिग्ध रही है। यहां के लेखपाल का ज्यादातर समय ऐसी ही संपत्तियों के निस्तारण में लगता है। ऐसे में आम जनता के लिए उसके लिए समय निकालना मुश्किल होता है।
स्थानीय स्तर पर इलाहीबाग, मिर्जापुर, रकाबगंज, जाफ़रा बाजार, इस्लामचक, नसीराबाद, खोखरटोला जैसे शहर की घनी आबादी वाले इलाकों में फैली ज्यादातर वक़्फ़ सम्पतियों में इन क्षेत्रों तैनात लेखपाल का हमेशा दखल रहा है।
सदर तहसील में तो यहां तक चर्चा है कि इन क्षेत्रों में जो भी लेखपाल आया है वह साल दो साल में ही लखपति से करोड़पति हो गया ।
वर्तमान में भी इस क्षेत्र में पिछले लगभग 2 वर्षों से एक ही लेखपाल तैनात है। वक़्फ़ के अलावा खास तौर से शत्रु संपत्ति और निष्क्रांत संपत्ति में लेखपाल साहब की दिलचस्पी इस कदर है कि बस पूछो ही न।
इस क्षेत्र में अपने छोटे-छोटे कामों के लिए महीनों से लेखपाल का चक्कर काट रहे लोगों का कहना है की उन्हें सिर्फ तारीख पर तारीख दी जाती है । जबकि लाभ से जुड़े मामलों में कार्यवाही करने में लेखपाल साहब जरा भी देर नहीं करते। यहाँ से जुड़े तमाम प्रार्थना पत्र लेखपाल साहब की एक नजर के मोहताज बने हैं।
बहरहाल उच्च अधिकारियों की खामोशी से मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति सदर तहसील के इस क्षेत्र में धाराशायी होती नजर आ रही है जहां न्याय के लिए महीनों लेखपाल साहब की परिक्रमा करना आम जनता की नियति बन गई हो।
लेखपाल साहब वक़्फ़ के साथ शत्रु संपत्ति और निष्क्रांत संपत्ति में तलाश रहे अवसर
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