बढ़नी सिद्धार्थनगर। उत्तर प्रदेश के बड़े समाजवादी नेताओं में शुमार जनेश्वर मिश्र की मंगलवार को जयन्ती मनाई गई। स्व0 मिश्र को छोटे लोहिया भी कहा जाता है। वे समाजवादी पार्टी के एक राजनेता थे। समाजवादी विचारधारा के प्रति उनके दृढ निष्ठा के कारण वे ‘छोटे लोहिया’ के नाम से प्रसिद्ध थे। वे कई बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे।
उन्होने मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चन्द्रशेखर, एच.डी. देवगौड़ा और इन्द्रकुमार गुज़राल के मंत्रिमण्डलों में काम किया। 07 बार केन्द्रीय मंत्री रहने के बाद भी उनके पास न अपनी गाड़ी थी और न ही बंगला। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव हों या सपा मुखिया अखिलेश यादव, समाजवाद पर बोलते हुए दोनों ही जनेश्वर मिश्र का नाम जरूरी तौर पर लेते हैं।
इनके नाम पर लखनऊ में एशिया का सबसे बड़ा सुन्दर पार्क सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के प्रेरणा से उत्तर प्रदेश के पुर्व युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा निर्माण कराया गया। जनेश्वर मिश्र का जन्म 5 अगस्त 1933 को बलिया के शुभनथहीं के गांव में हुआ था। उनके पिता रंजीत मिश्र किसान थे। बलिया में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद 1953 में इलाहाबाद पहुंचे जो उनका कार्यक्षेत्र रहा।
जनेश्वर को आजाद भारत के विकास की राह समाजवादी सपनों के साथ आगे बढ़ने में दिखी और समाजवादी आन्दोलन में इतना पगे कि उन्हें लोग ‘छोटे लोहिया’ के तौर पर ही जानने लगे। उक्त बातें मणेन्द्र मिश्रा ‘मशाल ने छोटे लोहिया के जीवन वृत्त पर वृहद प्रकाश डालते हुए कही। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष- समाजवादी पार्टी शिक्षक सभा व यश भारती सम्मानित मणेन्द्र मिश्रा ‘मशाल’ ने 5 अगस्त छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र की महान एवं समृद्ध परम्परा की स्मृतियों को नमन किया।
उन्होंने कहा कि शून्य और निराशा भरे राजनैतिक परिदृश्य में आपके अनुभवजनित एवं संघर्षगामी जीवनयात्रा के मूल्य संजोये सामाजिक आन्दोलन के पहरुआ अखिलेश यादव के क्षमतावान नेतृत्व में लोहिया दर्शन के समता और सम्पन्नता आधारित समाज निर्माण में अपनी ईमानदार भूमिका का निर्वहन कर रहा हूँ। आपके सान्निध्य में समाजवाद की जो समझ बनी, उसी लक्ष्य के लिए आजीवन समर्पित रहूंगा।