Tuesday, April 16, 2024
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अमीन जसपुरी को मिला (साहिर लुधियानवी) एवार्ड 

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”एक शाम डॉ सिराज गुलावठवी के नाम ”
अमीन जसपुरी को मिला (साहिर लुधियानवी) एवार्ड
इदारा, आलमी बेस्ट उर्दू पोइटरी, यक़ीनन दौर ए हाजि़र में दुनिया का वाहिद इदारा है जो इस इलेक्ट्रॉनिक तरक्की याफ़ता ज़माने में शायरों, अदीबों, और उर्दू साहित्य के लेखकों की ज़हनी परवरिश करता है और नये नये अदबी प्रोग्राम का आयोजन करता रहता है। यह इस संस्था की पहली खूबी है कि यहाँ प्रोग्राम बिना भेदभाव के व आलोचना के साथ किये जाते हैं जनाब तौसीफ़ तरनल साहब जो कि इस संस्था के संस्थापक एवं चेयरमैन हैं, की अनथक मेहनत का नतीजा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिनांक 3, फ़रवरी 2018 बरोज़ हफ़्ता 138वां प्रोग्राम ‘अॉन लाइन तरही मुशायरा( एक शाम डा सिराज गुलावठवी, इंडिया, के नाम)  का आयोजन किया गया इस अन्तरराष्ट्रीय आॅन लाइन तरही मुशायरे में सब से अच्छी ग़ज़ल के लिये (साहिर लुधियानवी एवार्ड) का ऐलान किया गया था। मुशायरे की साझा सदारत मुहतरम अमीन जसपुरी साहब, इंडिया व डॉ बुलंद इक़बाल न्याज़ी साहब, इंडिया ने की जबकि मेहमानाने खु़सूसी मुहतरमा गुले नसरीन साहिबा, मुहतरमा अरवा सजल साहिबा, पाकिस्तान, और मेहमाने ऐज़ाज़ी मुहतरमा सीमा गौहर साहिबा, इंडिया,व मुहतरमा  जहाँ आरा तबस्सुम साहिबा, पाकिस्तान, थीं। निज़ामत के फ़राइज़ मुहतरम मुख्तार तिलहरी साहब इंडिया ने बहुत खूबसूरती से अंजाम दिये।
मुशायरे की शुरुआत अल्लाह पाक की हमदो सना से की गई जिस के लिए नफ़ीस अहमद नफ़ीस नांदोरवी, इंडिया, को आवाज दी गई
नज़र चार सू आये रहमत ख़ुदा की
दो आलम पै छाई इनायत ख़ुदा की
ज़रा मन की आंखों को खोलो तो जानो
हर इक शै से ज़ाहिर है कु़दरत ख़ुदा की
नफ़ीस अहमद नफ़ीस नांदौरवी
रसूल अकरम (स अ व) की शान में नाते पाक का नज़ाराना पेश किया गया
सर झुकाना फ़र्ज़ है बेशक ख़ुदा के सामने
सर उठाना कब रवा है मुस्तफा़ के  सामने
दिल की कैफ़ियत बयां मुख्तार मैं कैसे करूँ
हेच हैं अलफ़ाज़ सब दिल की सदा के सामने
मुहतरम मुख्तार तिलहरी साहब, इंडिया
सभी शायरों ने इदारा की तरफ से दिया गया मिसरा
‘कहॉ से ढूंढ कर लायें मुहब्बत ‘
पर अपना अपना कलाम पेश किया, नमूने के तोर पर अश्आर हाजिर है
हो जैसा भी मयस्सर साज़े हस्ती ।
बुलन्द इकबाल बस गायें मुहब्बत।।
मुहतरम बुलन्द इकबाल न्याज़ी साहब ( इंडिया )
कहीं से हम अगर पायें मुहब्बत ।
तो वाजिब है कि लौटायें मुहब्बत।।
मुहतरम अमीन जसपुरी  साहब (इंडिया)
जो हैं महरूम अक्सर सोचते हैं ।
कहीं से हम भी पाजायें मुहब्बत ।।
डॉ सिराज गुलावठवी  साहब (इंडिया)
बहुत बेलौस जज़्बा है ये ‘अरवा’।
तो फिर क्यूं कर के जतलायें मुहब्बत।।
मुहतरमा अरवा सजल साहिबा ( पाकिस्तान)
तबस्सुम वो दिलों के बादशाह हैं।
‘ तबस्सुम ‘पर जो बरसायें मुहब्बत।।
मुहतरमा जहाँ आरा तबस्सुम साहिबा (पाकिस्तान)
तअससुब का है ये ‘ मुख्तार ‘सहरा।
कहाँ तक हम भी बरसायें मुहब्बत ।।
मुहतरम मुख्तार तिलहरी साहब (इंडिया )
‘ अमीन’ इन ख़ार सिफफ़त बस्तियों में।
खिलायें ज़ख़्म महकायें मुहब्बत।।
मुहतरम अमीन ऐडराई साहब ( पाकिस्तान)
ग़रज़ क्या बादा व साग़र से ‘मीना’ ।
चलो आंखों से छलकायें मुहब्बत।।
मुहतरमा डा मीना नक़वी साहिबा (इंडिया )
चलो ‘तालिब’ मियाँ हम भी किसी दिन।
जबीं पै अपनी गदवायें मुहब्बत।।
मुहतरम तालिब हाशमी साहब ( इंडिया )
करो तसख़ीर दिल ‘हमराज़’ सब के।
तो फिर धीरे से सिखलायें मुहब्बत ।।
मुहतरम हमराज़ ओचवी साहब (पाकिस्तान)
‘ज़िया’ हम तो फ़क़त ये चाहते हैं।
कि हर इक दिल में भर जायें मुहब्बत।।
मुहतरम ज़िया शादानी साहब  (इंडिया)
रहे इख़लास के राही हैं ‘अंजुम’ ।
जो आयें पास वो पायें मुहब्बत।।
मुहतरम शकील अंजुम साहब ( इंडिया )
चलो सब मिलके महकायें मुहब्बत।
ज़माने भर में फैलायें मुहब्बत।।
मुहतरम यूसुफ रज़ा साहब (इंडिया)
फ़लक को कोन फिर देखेगा ‘असग़र’।
ज़मीं पर हम जो फैलायें मुहब्बत।।
मुहतरम असग़र शमीम साहब (इंडिया)
ये है’ अरशद ‘असासा ज़िंदगी का।
किसी की नाम लिखवायें मुहब्बत।।
मुहतरम अरशद महमूद अरशद साहब ( पाकिस्तान)
जिन्हें अपना समझता हूँ मैं’ अनवर’ ।
वो क्यूं गैरों पै बरसायें मुहब्बत।।
मुहतरम अनवर कैफ़ी साहब (इंडिया)
मुझे घेरा हुआ है नफरतों ने।
न दांये है न है बांये मुहब्बत।।
मुहतरम अशरफ अली अशरफ (पाकिस्तान)
करो तसख़ीर दिल ‘हमराज़’ सब के।
तो फिर धीरे से सिखलायें मुहब्बत।।
मुहतरम हमराज़ ओचवी (पाकिस्तान)
फकत होठों तलक न फैज रखना।
चलो दिल तक भी फैलायें मुहब्बत।।
मुहतरम अरसलान फैजी (पाकिस्तान)
बहुत लोग साहिल को अपना बता ते।
चलो हम भी इस से जतायें मुहब्बत।।
मुहतरम साहिल तिमापुरी (इंडिया )
रहे इखलास के राही हैं ‘अंजुम’।
जो आयें पास वो पायें मुहब्बत।।
मुहतरम शकील अंजुम (इंडिया)
प्रोग्राम के बीच में डा सिराज गुलावठवी जिनके नाम आज की शाम मंसूब की गई थी का तअरूफ़, उन की अदबी ख़िदमात व उनका नमूना ए कलाम पेश किया गया।
प्रोग्राम में जनाब मुख्तार तिलहरी साहब ने अपने मखसूस अन्दाज़ ए निज़ामत से न सिर्फ सब का दिल मोह लिया बल्कि प्रोग्राम को भी चार चांद लगा दिए।
आख़िर में जजिज़ कमेटी में शामिल मुहतरम मुख्तार तिलहरी साहब, मुहतरम अहसान लखनवी साहब, मुहतरम ज़िया शादानी साहब, मुहतरमा मीना नक़वी साहिबा,मुहतरम अनवर कैफ़ी साहब ने फि़क्र ओ फ़न के ऐतबार से उम्दा तरही कलाम का ऐलान किया जिस का हकदार मुहतरम अमीन जसपुरी साहब (इंडिया) को क़रार दिया गया और उनको ” साहिर लुधियानवी एवार्ड ” से नवाजा़ गया।
मुशायरे में शामिल शोर इकराम का कलाम पढ़ने और सुनने से अन्दाजा हुआ कि जहाँ रिवायत के सांचे में ढलने वाले और मुश्किल लै पर सर धुनने वाले मैदान ए शायरी में रक़स कुनां हैं, तो वहीं आज के इस इनहमाकी दौर में शौरा ए आलम को एक जामा प्लेट फ़ार्म पर मुनजमिद करने वाले नीज़ हौसला अफ़ज़ाई के साथ उन्हें असनाद ए अदब से नवाज़ने वाले इदारे के बानी व चेयरमैन मुहतरम तौसीफ़ तरनल साहब जैसे अदब के दीवाने भी हाज़िर हैं
मुशायरा देर रात तक कामयाबी। के साथ चला आखिर में सदर मुशायरा ने सभी शोरा को मुशायरे की कामयाबी की मुबारकबाद पेश की और तमाम हाजरीन का शुक्रिया अदा किया और मुशायरे के खत्म होने का ऐलान किया |
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