मानव इतिहास में संस्कृत भाषा का साहित्य सबसे समृद्ध : डा.शास्त्री

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अवधनामा संवाददाता

ललितपुर। एनएसएस की छात्रा इकाई पंचम के सात दिवसीय विशेष शिविर प्राथमिक विद्यालय, बड़ापुरा (कन्या) खिरकापुरा नगर क्षेत्र में छात्राओं ने शिविर की शुरुआत योगाभ्यास के साथ किया तत्पश्चात सद्भावना गीत प्रस्तुत किया गया। सुबह के सत्र में छात्राओं द्वारा शिक्षा एवं रोजगार संबंधी सर्वेक्षण-कार्य खिरकापुरा नगर-क्षेत्र में किया गया। आज की बौद्धिक संगोष्ठी का विषय नारी शिक्षा के प्रति जागरूकता रहा, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डीएवी कालेज उरई के अवकाशप्राप्त पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डा.पूरन सिंह निरंजन ने कहा कि इतिहास में नारी शिक्षा के प्रति जागरूकता का पहला बड़ा प्रयास ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले द्वारा किया गया। उन्होंने लड़कियों व स्त्रियों के लिए अनेक कन्या विद्यालय खोले और जीवनपर्यंत इस स्त्री-शिक्षा व स्त्री-सुधारों के प्रति समर्पित रहे। नेमवि के कृषि संकाय में प्राध्यापक डा. अरिमर्दन सिंह ने शिक्षा को नारियों के चहुँमुखी विकास के लिए अत्यंत आवश्यक बताया। मनोविज्ञान विभाग प्रवक्ता डा.सूबेदार यादव ने कहा कि अंधविश्वास और रूढि़वादिता से ऊपर उठकर ही नारी शिक्षा की स्थिति को सुधारा जा सकता है। इस दौरान सुरेश, कामता और स्वयंसेविकाओं में आरती शर्मा, राजमणि राजा, रितु देवी, साक्षी परिहार, हिना, जूही, पूनम राजपूत, किरण देवी, प्रार्थना देवी, चंदा देवी, रानी, साक्षी आदि उपस्थित रहीं। संचालन हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर जितेन्द्र कुमार ने किया। अंत में श्रीमती अनीता ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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