अवधनामा संवाददाता
मुम्बई से आए शायर शमीम के सम्मान में हुआ मुशायरा
शाहजहांपुर। अल मुश्किल कुशा सोसाइटी की ओर से बीती रात मुम्बई से आए शायर शमीम अहमद शमीम के सम्मान में महफ़िल ए मुशायरा का आयोजन मामूडी स्थित सोसाइटी के सभागार में किया गया।
जिसमें मेहमान शायरों ने देर रात तक गज़लें सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। मुशायरे की अध्यक्षता असगर यासिर ने तथा संचालन राशिद हुसैन राही ने किया। मुशायरे के मुख्य अतिथि शायर शमीम अहमद शमीम ने अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति कुछ यूं की –
सच है तिरे बग़ैर मुकम्मल नहीं हूं मैं।
फिर भी ख़ुदा का शुक्र है पागल नहीं हूं मैं।।
मुझसे वो दूर है ये अलग बात है शमीम।
वरना तो उसकी आंख से ओझल नहीं हूं मैं।।
असगर यासिर ने सुनाया –
ये और बात ज़बां से कभी नहीं कहता।
वह देखना तो बुलंदी पे चाहता है मुझे।।
हमीद खिज़र ने इस शेर पर खूब दाद हासिल की –
वह ख्वाबों में सदा देने लगे हैं।
मिरे ख़्वाब अब मज़ा देने लगे हैं।।
खलीक शौक़ ने कहा –
एक तू कि अपने घर से न बाहर निकल सका।
मैं अपना शहर छोड़ के आया तेरे लिए।।
हसीब चमन ने सुनाया-
जहां में कम नहीं होती कभी रंगीनियां यारो।
नज़र कमज़ोर पड़ जाए, नज़ारे टूट जाते हैं।।
राशिद हुसैन राही ने गुनगुनाया –
हालांकि अपने शहर में फनकार हैं बहुत।
लेकिन सराहते नहीं इक दूसरे को लोग।।
शमशाद आतिफ ने सुनाया –
किसी हमसाये के घर में अगर फाके का आलम हो।
तो अपने आप हाथों से निवाले छूट जाते हैं।।
साजिद सफदर ने कहा –
सारे मुसव्विरों से मैं बेहतर उतार कर।
लाया हूँ उनके अक्स को दिल पर उतार कर।।
हरगिज़ न खींच पाएंगे वो कैमरे कभी।
आंखों ने रख लिए हैं जो मंज़र उतार कर।।
गुलिस्तां ख़ान ने कहा –
मैं मिस्ल ए आफताब थी जलना पड़ा मुझे।
लेकिन मिरी चमक से जले और लोग हैं।।
इनके अलावा तनवीर अहमद तनवीर, निसार अहमद निसार, डॉ. इरफ़ान ह्युमन, क़ासिम अख़्तर ने भी गज़लें सुनाई। संयोजक सोसायटी के अध्यक्ष मौलाना बहार आलम रजवी ने सोसायटी के उद्देश्य बताते हुए सभी मेहमान शायरों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इससे पहले मुशायरे का आगाज़ हाफ़िज़ क़ासिम अख़्तर वारसी ने तिलावत ए क़ुरआन, हम्द और नातिया कलाम से किया।आयोजन में सोसायटी के उपाध्यक्ष डा. इरफ़ान ह्युमन, प्रबंधक क़ासिम अख़्तर वारसी, सचिव क़दीर खान, जिला मैनेजर मौलाना शम्सुल हक़, सय्यद इमरान, सुहेल खान, आसिम अनमोल, इमरान, डा.जावेद, शेख़ मो साजिद आदि का विशेष योगदान रहा।