नई दिल्ली। भारत में हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र (आरबीसीसी) में विभिन्न स्कूलों के छात्रों से मुलाकात की। उन्होंने इस दौरान छात्रों से बातचीत कर उनका हौसला बढ़ाया। आपको मालूम हो कि राष्ट्रपति मुर्मू ने 1994 से 1997 तक श्रीअरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर, रायरंगपुर में एक मानद शिक्षक के रूप में कार्य किया था।
छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कही यह बात
बाल दिवस बच्चों के लिए एक खास दिन होता है। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में छात्रों को संबोधित करते हुए भारत की संस्कृति से जुड़े रहने, हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान करने और मातृभूमि से प्यार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, आज हम बच्चों की इस मासूमियत और पवित्रता का जश्न मना रहे हैं। बच्चे जैसे हैं वैसे ही स्वीकार किए जाते हैं। यही उन्हें सबसे ज्यादा जीवंत बनाता है।
उन्होंने बच्चों से परिणाम की परवाह किये बिना कर्तव्य के पथ पर चलने की अपील करते हुए कहा कि इससे अंतत वे सफलता हासिल कर ही लेंगे। उन्होंने कहा कि वे जो रास्ता आज अख्तियार करेंगे वह आने वाले दिनों में भारत की यात्रा को सुनिश्चित करेगा। उन्होंने सलाह दी कि वे बड़े होने पर भी अपने अंदर के बच्चे को जीवित रखें। उन्होंने बच्चों से आग्र्रह किया कि वे देश की संस्कृति से जुड़े रहें तथा माता पिता का सम्मान करें और मातृभूमि से प्रेम करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि बचपन जीवन का सबसे सुंदर चरण है और बच्चों को हमेशा जैसे वे हैं वैसे ही स्वीकार किया जाता है। इसीलिए बच्चे इतने जीवंत और खुश रहते हैं। इस दिन हम उनकी मासूमियत और दिल की सच्चाई को मनाते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि हर नयी पीढी नयी संभावना तथा नये सपने लेकर आती है। यह प्रौद्योगिकी और सूचना क्रांति का युग है। बच्चे अब विभिन्न घरेलू , सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूक हैं।
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