अवधनामा संवाददाता
बरबर खीरी मोहम्मदी में पत्रकारिता के क्षेत्र में स्वर्गीय डॉ मुजीब अहमद सिद्दीकी नाम जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है जो किसी ताररुफ का मोहताज नहीं है मोहम्मदी के वरिष्ठ निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकार के रूप में जाने जाते थे जिनकी लेखनी ऐसी मानी जाती थी जो कम शब्दों में बड़ी सी बड़ी बात बयां कर देने वाली लेखनी मानी जाती थी स्वर्गीय डॉक्टर मुजीब अहमद सिद्दीकी मोहम्मदी का एक ऐसा नाम जो पत्रकारिता का एक खुद अध्याय हुआ करता था जहां से कलम चलती थी वहीं से पत्रकारिता का 1 अध्याय लिखा जाता था अपनी कलम की ताकत से गरीबों पीड़ितों मजलूम को न्याय दिलाना खबर के साथ किसी प्रकार का समझौता ना करना पीड़ितों के पक्ष को अखबार के माध्यम से बेबाकी निष्पक्षता निर्भीकता के साथ रखना जिनकी पहली प्राथमिकता हुआ करती थी बताते चलें स्वर्गीय *डॉक्टर मुजीब अहमद सिद्दीकी* का पत्रकारिता का सफर सन 1972 से सप्ताहिक अखबार वीर अर्जुन अखबार से शुरू हुआ था इसके साथ साथ बहुत से अखबारों में काम करते चले आए यहां तक देश के बड़े-बड़े हिंदुस्तान जैसे आदिअखबारों में अपनी निर्भीक और निष्पक्ष बेबाक लेखनी की छाप छोड़ते रहे इस सफर में स्वर्गीय *डॉक्टर मुजीब अहमद सिद्दीकी* को सैकड़ों बार अपनी फर्ज भरी लेखनी के चलते विषम परिस्थितियों से भी गुजरना पड़ा बहुत सी बाधाएं विरोधियों के द्वारा उत्पन्न की गई इन सबके बावजूद *डॉ मुजीब अहमद सिद्दीकी* ने अपनी हार नहीं मानी और परिस्थितियों से लड़ते गये हर बाधा को राह के पत्थर की भांति ठोकर मारते चले गए मोहम्मदी खीरी क्षेत्र में पीड़ितों के साथ अन्याय होता देख अपनी कलम की लेखनी माध्यम से पीड़ितों का पक्ष रख पीड़ितों को न्याय दिलाने का काम करते रहे और पत्रकारिता के क्षेत्र में असीम शोहरत हासिल की मोहम्मदी खीरी में पत्रकारिता का 1 अध्याय के रूप में *डॉ मुजीब अहमद सिद्दीकी* का नाम जाना जाने लगा और समय-समय पर जूनियर पत्रकारों का कोच बनकर मार्गदर्शन भी करते रहे पत्रकारों के साथ किसी प्रकार की अभद्रता होती थी तो सबसे पहले *डॉ मुजीब अहमद सिद्दीकी* की कलम चलती थी और कई बार अनेक संस्थाओं के द्वारा निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता को लेकर स्वर्गीय *डॉ मुजीब अहमद सिद्दीकी* को सम्मानित भी किया जाता रहा और फिर कोरोना जैसी महामारी के दौरान 21 अप्रैल 2021 को एक दुख भरी खबर आती है कि *डॉ मुजीब अहमद सिद्दीकी* नहीं रहे जिससे मोहम्मदी क्षेत्र की जनता शोक की लहर में डूब जाती है और इस तरीके से मोहम्मदी खीरी का पत्रकारिता का 1 अध्याय *डॉक्टर मुजीब अहमद सिद्दीकी* के नाम से हुआ करता था जो क्लोज हो जाता है लेकिन आज भी पत्रकारिता का वह अध्याय समय-समय पर याद किया जाता रहता है जो पत्रकारिता की मिसाल बन चुका है।