राजस्व अभिलेखों में फर्जीवाड़ा करके भू-माफियाओं ने किया है कब्जा
सचिव के आदेश के बाद प्रशासन ने शुरू की जमीन की तलाशी
कुशीनगर। जिले के पडरौना चीनी मिल के करीब 114 एकड़ जमीन पर भू माफियाओं का कब्जा है। अधिकारियों की लापरवाही व भू-माफियाओं के मिलीभगत से एंटी भू-माफिया अभियान हाथी दांत साबित हो रहा है। नतीजतन भू-माफियाओं के हौसले इस कदर बुलंद है कि कपड़ा मंत्रालय भारत सरकार के पडरौना चीनी मिल के करीब 114 एकड़ जमीन पर माफियाओं ने अधिकारियों से साठगांठ कर अभिलेखों में फर्जीवाड़ा करके नाम दर्ज कराकर भवन बना रखा है। इसका खुलासा तब हुआ जब प्रदेश सरकार के विशेष सचिव की ओर से जारी आदेश के बाद प्रशासन ने जमीन की तलाश शुरू की, तो पता चला कि पडरौना और जंगल विशुनपुरा में चीनी मिल के नाम दर्ज 154.36 एकड़ जमीन मे से सिर्फ 40 एकड़ जमीन ही खाली है।
वर्ष 1934 में पडरौना राज परिवार ने पडरौना नगर में चीनी मिल बनवाया था जो वर्ष 1956 में नीलामी के दौरान इस चीनी मिल को कानपुर शुगर वर्क्स ने खरीद लिया था। कहना ना होगा कि चीनी मिल का ज्यादातर हिस्सा पडरौना तहसील के राजस्व गांव जंगल विशुनपुरा में है। राजस्वकर्मियों के अनुसार मिल के नाम से 154.36 एकड़ जमीन थी। मिल की जमीन पर कब्जे के आधार पर बताया जाता है कि भू-माफियाओं ने अधिकारियों व राजस्वकर्मियों से साठगांठ कर राजस्व अभिलेखों में फर्जीवाड़ा कर चीनी मिल के जमीन पर डेढ सौ से अधिक लोगों ने फर्जी तरीके से अपना नाम दर्ज करा लिया। विशेष सचिव के आदेश के बाद जांच के लिए पहुंची राजस्व टीम जब मौके पर पहुंची तो चीनी मिल के सिर्फ 40 एकड़ जमीन खाली मिली, जिस पर खेती-किसानी और बागवानी की जा रही है। बाकी करीब 114 एकड़ जमीन पर 300 से अधिक लोगों ने मकान निर्माण करा रखा है। अब सवाल यह उठता है कि भू माफियाओं द्वारा चीनी मिल के जमीन को राजस्व अभिलेखों मे फर्जीवाड़ा कर अपना नाम दर्ज कराने के बाद निर्माण कार्य गए भवनों का मास्टर प्लान (विनियमित क्षेत्र) से नक्शा कैसे पास हो गया? सूबे सरकार के विशेष सचिव द्वारा कानपुर शुगर मिल के नाम से कुशीनगर जनपद के पडरौना देवरिया और महराजगंज जिले में बंद पड़ी चीनी मिल के जमीन खाली कराए जाने के आदेश के बाद भू-माफियाओं मे हड़कंप मच गया है। हालांकि तहसील प्रशासन इसकी रिपोर्ट तैयार करने में जुटा है।
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