सर्पदंश को आवश्यक सावधानियां बरतते हुए टाला जा सकता है: डीएम

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लखीमपुर खीरी – जिला अधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश विभिन्न प्रकार की आपदाओं से प्रभावित राज्य है। बाढ़, चक्रवात, अतिवृष्टि, सर्पदंश एवं बज्रपात इत्यादि आपदाएं समय-समय पर जन धन की क्षति का कारण बनती है। विगत कुछ वर्षों में बाढ़ के अतिरिक्त सर्पदंश एक विभीषिक आपदा का रूप ग्रहण कर चुकी है। उक्त के दृष्टिगत मुख्यमंत्री जी द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य में सर्प दंश को राज्य अधिसूचित आपदा की श्रेणी में रखा गया है। अचानक घटित होने वाली ऐसी घटना है जिससे कि आवश्यक सावधानियों का पालन करते हुए डाला जा सकता है। सर्पदंश के कारण होने वाली जनहानि के न्यूनीकरण एवं शमन हेतु आवश्यक है कि सर्पदंश के संबंध में अधिक से अधिक जानकारी एवं ‘‘क्या करें क्या ना करें’’ का प्रचार-प्रसार व्यापक स्तर पर जनमानस में किया जाए। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आवश्यक गाइडलाइन तैयार की गई है। जनहानि को न्यूनतम करने हेतु प्राथमिक उपाय के रूप में यह अत्यंत आवश्यक है कि शीघ्र ही प्रदेश की जनता को सर्पदंश से बचने के उपायों के प्रति जागरूक करने हेतु अभियान चलाया जाए। ग्रामीण क्षेत्र में सर्पदंश की घटनाएं अधिक संख्या में होती हैं अतः ग्राम स्तर पर भी अधिक से अधिक जागरूकता की आवश्यकता है।डीएम ने सर्पदंश हेतु सामान्य दिशा निर्देशों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सांप दो प्रकार के होते हैं एक जहरीले दूसरा बिना जहर वाले। वर्षा ऋतु में अक्सर यह बाहर निकल आते हैं एवं खेतों में, पत्थरों एवं चट्टानों के बीच, कच्ची दीवारों में अथवा लकड़ियों के गट्ठर जैसी चीजों में छुपे रहते हैं। घरों में भी यह कभी-कभी आकर कोने, सामानों इत्यादि के बीच अथवा पीछे छिप जाते हैं। अधिकांश सांप मांसाहारी होते हैं एवं छोटे जीव जंतुओं को खाते हैं। मनुष्यों को ये अपने ऊपर खतरा देख कर ही काटते हैं। सामान्यतः यह हलचल एवं गतिविधियों वाले स्थानों से दूर रहते हैं। यदि इन्हें छेड़ा ना जाए तो यह मनुष्यों को नहीं काटते हैं। सांप के जहर से ऊतक नष्ट होते हैं, नर्वस सिस्टम प्रभावित हो सकता है ब्लड प्रेशर एवं हृदय पर असर अथवा क्लॉटिंग एवं रक्तस्राव होता है। लक्षण उत्पन्न होने में कभी-कभी 6 से 12 घंटे का समय लग सकता है। बिना जहर वाले सांप काटने पर कटे हुए स्थान पर थोड़ा दर्द एवं सूजन हो जाती है, जो सामान्यता आसानी से ठीक हो जाती है। जहरीले सांप के काटने पर यदि सांप द्वारा जहर नहीं उगला गया है तो खतरा नहीं होता है। यदि जहर उगला गया है तब काटने के स्थान पर तेज दर्द, छाला पड़ना, सूजन, लालिमा, नीलापन रक्तस्राव काला पड़ना या सुन्न होना हो सकता है। सांप के जहर के असर से व्यक्ति के कांटे वाले भाग के पूरे अंग में तेज दर्द हो सकता है, कम ब्लड प्रेशर, कमजोर नाड़ी, बढ़ी धड़कन, उल्टी एवं जी मालिश करना, दस्त,खांसी,श्वास लेने में दिक्कत, देखने में दिक्कत, हाथ-पैर ठंडा होना,सुन्न पड़ना पसीना आना इत्यादि हो सकते हैं।उन्होनें बताया कि सांप के कटाने पर क्या करें, क्या न करें के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि सर्पदंश के मौसम में बाहर निकलते समय बूट,मोटे कपड़े का पैंट इत्यादि पहने, नशा ना करें क्योंकि इससे खतरे को समझने की क्षमता कम होती है। सांप दिखने पर पास न जाएं एवं न ही उसे मारने की कोशिश करें,उसे बचकर जाने दे। हलचल एवं कंपनी इत्यादि से सांप दूर भागते हैं। सर्पदंश पर घबराएं नहीं, आराम से लेट जाएं, काटे हुए भाग को हृदय के स्तर से थोड़ा नीचे रखें, कपड़े ढीले कर दे, चूड़ी, कड़े, घड़ी,अंगूठी जैसे आभूषण निकाल दे। छोटे बच्चे वृद्ध और और अन्य बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों में जहर का असर गंभीर हो सकता है, इसमें विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है, इसके उपचार में देरी न करें। घाव के साथ छेड़छाड़ न करें। घाव को काटने, चूसने, बर्फ लगाने, कसकर बांधने, देसी दवा अथवा केमिकल इत्यादि लगाने का कोई स्पष्ट लाभ नहीं होता है अपितु घाव में नुकसान हो सकता है एवं जहर शरीर में ज्यादा तेजी से फैल सकता है। घबराने, दौड़ने, भागने इत्यादि से जहर तेजी से शरीर में फैलता है। व्यक्ति को मदिरा, नशे की कोई चीज तथा कैफीनेटेड ड्रिंक्स न दे, दर्द के लिए सिर्फ पेरासिटामाल दे। झाड़-फूंक इत्यादि से बचें। रोगी को शीघ्र जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अथवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ले जाएं एवं चिकित्सक की सलाह के अनुसार उपचार ले।

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