अवधनामा संवाददाता
लखीमपुर खीरी– अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस पर सोमवार को श्रम प्रवर्तन अधिकारी संतोष त्रिपाठी के नेतृत्व में भारत-नेपाल बार्डर के तिकुनिया में भव्य जागरूकता कार्यक्रम हुआ। जागरूकता कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्रम प्रवर्तन अधिकारी संतोष त्रिपाठी ने कहा है कि बच्चों में असीम संभावनाएं होती हैं। उन्हें संवरने के लिए खुला आसमान देना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। बच्चों की उचित देखभाल, पोषण, सुरक्षा, खुशहाल जीवन, शिक्षा, स्वास्थ्य और आगे बढ़ने के अवसर पर बच्चों का भी समान अधिकार है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का उद्देश्य बच्चों से श्रम ना कराकर उन्हें शिक्षा और आगे बढ़ने के अवसर उपलब्ध कराना है। बाल श्रम के प्रति विरोध दर्ज करने के साथ लोगों में जागरूकता लाना है। उन्होंनेे लोगों से अपील की है कि छोटे बच्चों को काम में न लगाएं, न ही किसी को लगाने दें। बच्चों के प्रति दुर्व्यवहार, हिंसा या मजदूरी करते पाए जाने पर तुरंत पुलिस और प्रशासन को सूचना देकर बच्चों का भविष्य बचाने में सहयोग करें।एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के निरीक्षक जैनेन्द्र कुमार ने कहा कि बच्चों का जीवन अनमोल होता हैं। उनका बचपन शिक्षा, बेहतर परवरिश, खेलकूद और देखभाल के लिए होता हैं। अमूमन देखा जाता हैं कि गरीब परिवार अपनी आजीविका के लिए अपने बच्चो से भी परिश्रम कराते है। हालाँकि जरूरी नहीं कि यह सिर्फ धनोपार्जन के लिए हो। बच्चों से कराये जाने वाले श्रम के पीछे कई अन्य वजहें भी होती हैं। बच्चों को श्रम से रोकने और उनके बचपन को संवारने के मकसद से हर साल 12 जून को वैश्विक स्तर पर बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता हैं। इस मौके पर एएचटीयू प्रभारी जैनेंद्र कुमार कांस्टेबल राजेश कुमार, चाइल्डलाइन जिला समन्वयक संतोष राजवंशी, टीम सदस्य इंद्र कुमार अवस्थी प्रदीप कुमार मौजूद रहे।