अवधनामा संवाददाता
न्यायिक कार्य से विरत रहकर अधिवक्ता दर्ज करा रहे विरोध
ललितपुर। उन्तीस अगस्त को उत्तर प्रदेश के हापुड़ के जिला न्यायालय परिसर में उपजे विवाद में पुलिस द्वारा महिला अधिवक्ताओं के साथ-साथ अधिवक्ताओं के ऊपर बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज किये जाने की घटना प्रकाश में आयी थी। इस घटना को लेकर अधिवक्ताओं ने प्रदेश व्यापी हड़ताल शुरू कर दी। हड़ताल के दौरान पुलिस महकमे के खिलाफ नारेबाजी और पुतला दहन जैसे आयोजन अधिवक्ताओं द्वारा किये जा रहे हैं। इसके साथ ही न्यायिक कार्य से विरत रह रहे अधिवक्ताओं के कारण वादकारियों को भी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। अधिवक्ताओं की इस हड़ताल का असर बीती 9 सितम्बर को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत पर भी देखने को मिला। अधिवक्ता पुष्पेन्द्र सिंह चौहान ने अपने सोशल मीडिया के फेसबुक अकाउण्ट से बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश का एक पत्र साझा किया है। इस पत्र के अनुसार अध्यक्ष शिवकिशोर गौड़ द्वारा अवगत कराया गया है कि शासन-प्रशासन द्वारा अधिवक्ताओं की मांग पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है, जिस पर आगे की रणनीति तय किये जाने के लिए सदस्यों की वर्चुअल बैठक बीती देर रात आहूत की गयी। बैठक में सर्वसम्मति से 11 व 12 सितम्बर को भी अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्य से विरत रहने का आह्वन करते हुये बताया गया कि बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश की मांग नहीं मानी जाती है तो फिर से 12 सितम्बर की रात 8 बजे काउंसिल की बैठक आहूत कर आगामी रणनीति पर विचार किया जायेगा। इधर ललितपुर जिला न्यायालय परिसर में प्रदर्शन करते हुये जिला बार एसोशियेशन के पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश घोष एड. ने कहा कि हापुड़ में अधिवक्ताओं पर पुलिस द्वारा किये गये लाठीचार्ज को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जो कि काफी खेदजनक है। उन्होंने कहा कि शासन की ओर से हापुड़ की घटना को लेकर कोई बयान न आना बेहद गंभीर है। प्रदर्शन कर रहे अधिवक्ताओं में बृजेन्द्र सिंह चौहान एड. ने कहा कि अधिवक्ताओं का पेशा काफी जोखिम भरा होता जा रहा है, इसलिए वर्तमान सरकार को चाहिए कि वह अधिवक्ता सुरक्षा कानून को प्रभावी तरीके से लागू करे। इस दौरान जिला बार एसोशियेशन अध्यक्ष बृजेन्द्र सिंह यादव एड. ने कहा कि प्रदेशीय आह्वन पर लगातार ग्यारहवें दिन भी जिला न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं की हड़ताल जारी रही। इस दौरान अधिवक्तागण न्यायिक कार्य से विरत रहते हुये अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।