अवधनामा संवाददाता
हमीरपुर सुमेरपुर, आजादी के अमृत महोत्सव के मद्देनजर वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत सत्तावनी समर के महान पुरोधा कुवर सिह की पुण्यतिथि 26 अप्रैल पर संस्था के अध्यक्ष डा भवानीदीन ने सुमनान्जलि देते हुये कहा कि कुवर सिह एक जमीनी देशभक्त थे,उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।कुवर सिह का जन्म बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गाव मे बाबू साहबजादे सिहं और पंचरत्न कुवर के घर 13 नवम्बर 1777 को जन्म हुआ था,ये प्रारम्भ से ही राष्ट्र सेवी थे।1857 के समर काल मे इनकी आयु लगभग 80 वर्ष थी,ये सही अर्थो मे जमीन से जुडे जाबांज थे,जब 1857 के संग्राम मे रानी लक्ष्मी बाई और तात्या टोपे जैसे सूरमा अंग्रेजों की नाक मे दम किये थे, उस समय बाबू कुवर सिह बादा, रीवा, आजमगढ़, बनारस, बलिया, गाजीपुर और गोरखपुर मे अंग्रेजों के खिलाफ मजबूत मोर्चा खोले रहे।23अप्रैल 1858 मे जगदीशपुर किले से यूनियन जैक उतारा, काफी संघर्ष किया, घायल हो गये,26 अप्रैल 1858 को जगदीशपुर मे इनका निधन हो गया, कार्यक्रम मे अशोक कुमार गुप्ता एडवोकेट, दिलीप अवस्थी, प्रिन्स, प्रेम,संतोष प्रजापति, आशुतोष, नीलकंठ धुरिया, दस्सी आदि उपस्थित रहे।