संस्कृत में रचित रामायणम् व महाभारतम् के अध्ययन से ही प्राचीन दर्शन, ज्ञान-विज्ञान की जानकारी है संभव–डाॅ शालिग्राम त्रिपाठी

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अवधनामा संवाददाता

सुल्तानपुर।उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ के तत्वावधान में बीस दिवसीय प्रथम स्तरीय संस्कृत भाषा शिक्षण कार्यशाला का आभासी माध्यम से गूगल मीट के माध्यम से बौद्धिकसत्र सम्पन्न हुआ। प्रशिक्षु वेद प्रकाश तिवारी ने वैदिकमंगलाचरण से कार्यक्रम प्रारम्भ किया। नन्दिनी ने सरस्वती वंदना, उपासना ने स्वागतगीत व अनुपमा ने संस्थानगीत गाया, ऋषभ व कविता ने कक्षा का अनुभव साझा किया। सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में *राजकीय विद्यालय प्रयागराज, प्रवक्ता डॉ शालिग्राम त्रिपाठी*
उनका अभिनंदन राजन दुबे ने किया । उन्होंने संस्कृत के विद्वानों की प्रशंसा करते सनातन ज्ञान परंपरा उल्लेख करते संस्कृत भाषा के शिक्षण पर जोर दिया । अतिथि रूप समागत *डॉ त्रिपाठी* ने संस्कृत व्यावहारिक विशेषता बताते हुए संस्कृत को दैनिक जीवन में प्रयोग करने हेतु छात्रों को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि संस्कृत में रचित रामायणम् व महाभारतम् के अध्ययन से ही प्राचीन दर्शन, ज्ञान-विज्ञान की जानकारी संभव है, सामाजिक रूढ़ि के कारण सामान्य परिवारों में महाभारतम् पुस्तक नहीं रखी जाती ।
प्रशिक्षक *अशोक कुमार मिश्र* ने बताया कि सभी प्रतिभागियों को संस्कृत संभाषण सीख कर अपने जीवन को संस्कृतमय बनाने का सुनहरा अवसर संस्थान द्वारा प्रदान किया जा रहा है। लोगों में संस्कृत के प्रति रुचि बढ़ रही है।
प्रशिक्षिका डाॅ स्तुतिं गोस्वामी ने बताया कि संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव के नेतृत्व में देश-विदेश के संस्कृत अनुरागियों को बीस दिवसीय निःशुल्क सरल संस्कृत भाषा शिक्षण का ज्ञान प्रदान किया जा रहा है। विनोद त्रिपाठी ने कार्यशाला के मार्ग दर्शकों प्रशिक्षण प्रमुख सुधीष्ठ मिश्र, योजना सर्वेक्षिका डा. चन्द्रकला शाक्या, प्रबन्धक व निरीक्षकों धीरज मैठाणी , दिव्य रंजन, राधा शर्मा , तथा आमन्त्रित शिक्षार्थियों तथा उपस्थित संस्कृतानुरागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। संस्थान के वृत्त कथन में श्री राजनदुबे ने बताया कि निःशुल्क प्रशिक्षण पूरा होने के बाद प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिया जाता है विभिन्न समय विकल्पों के साथ प्रतिमाह यह बीस दिवसीय कक्षा संचालित होती हैं । कार्यक्रम का संचालन अशोक कुमार मिश्र ने किया ।

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