नई दिल्ली (New Delhi) अगले वित्त वर्ष के लिए एच-1बी वीजा आवेदन पंजीकरण की प्रक्रिया नौ मार्च से शुरू हो गई है और कंप्यूटरीकृत लॉटरी ड्रॉ (Lottery draw ) में सफल प्रतिभागियों को 31 मार्च तक इस बारे में सूचित किया जाएगा। हाल ही में अमेरिका नागरिकता (US citizenship) एवं आव्रजन सेवाएं (USCIS) ने घोषणा की थी कि वित्त वर्ष 2022 के लिए एच-1बी वीजा के लिए शुरुआती पंजीकरण (Registration ) नौ मार्च को दोपहर में शुरू होगा और 25 मार्च की दोपहर तक चलेगा। एजेंसी ने कहा कि अगर उसे 25 मार्च तक पर्याप्त संख्या में पंजीकरण (Registration ) प्राप्त हो गए तो वह बिना किसी क्रम के पंजीकरण (Registration ) का चयन कर चुने हुए लोगों की अधिसूचना 31 मार्च तक भेज देगी।
एच-1बी गैर-आव्रजक वीजा होता है, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों (American companies ) को विशेष तकनीकी दक्षता वाले पदों पर विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति होती है। इस वीजा के जरिए प्रौद्योगिकी क्षेत्र (Technology sector ) की कंपनियां हर साल भारत (India) और चीन (China ) जैसे देशों से हजारों कर्मचारियों की नियुक्ति करती हैं।
एच-1बी वीजा शुरुआत में तीन साल के लिए वैध होता है, जिसे बढ़ाकर छह वर्षों के लिए किया जा सकता है। अमेरिकी कांग्रेस (American congress ) के नियमों के अनुसार, एक साल में 65,000 एच-1बी जारी किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त 20,000 वीजा STEM सब्जेक्ट्स से किसी अमेरिकी यूनिवर्सिटी (American university ) से हाईयर स्टडी (Higher study ) पूरी कर चुके विदेशी छात्रों (Foreign students) के लिए जारी किए जाते हैं। प्रौद्योगिकी कंपनियां (Technology companies ) भारत (India) और चीन (China ) जैसे देशों से प्रत्येक वर्ष करीब 10 हजार कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस वीजा पर निर्भर हैं।
सैद्धांतिक (Theoretical ) और तकनीकी विशेषज्ञता के साथ विशेष व्यवसायों में काम करने वाले लोग एच-1बी वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह भारतीय आईटी पेशेवरों में सबसे लोकप्रिय है। अप्रैल 2020 में अमेरिका को 2,75,000 पंजीकरण (Registration ) अनुरोध प्राप्त हुए थे, जिनमें से लगभग 67 फीसदी भारत से थे।
इस वर्ष वीजा के चयन के लिए लॉटरी प्रणाली का उपयोग होगा। भारत, पाकिस्तान और चीन जैसे देशों में इंटरनेट के आगमन के बाद से, इन देशों में नौकरियों की कमी के कारण USCIS द्वारा प्राप्त आवेदनों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इसकी वजह से कम्प्यूटरीकृत लॉटरी प्रणाली की शुरुआत हुई, जिसमें योग्य आवेदकों को अनियमित रूप से चुना जाता है।