कत्ले हुसैन अस्ल में मरगे यज़ीद है इस्लाम ज़िन्दा होता है हर कर्बला के बाद या हुसैन की सदाओं से गूँजने लगा नगर

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अवधनामा संवाददाता

कत्ले हुसैन अस्ल में मरगे यज़ीद है इस्लाम ज़िन्दा होता है हर कर्बला के बाद या हुसैन की सदाओं से गूँजने लगा नगर

अम्बेडकरनगर  चाँद नज़र आया मोहर्रम का चाँद रविवार को पहली मोहर्रम 9 अगस्त को होगा आशूरा

अम्बेडकरनगर ज़िलहिज्जा की अनतिस को माहे मोहर्रम के चाँद होने की देश भर से कहीं से भी सूचना नहीं मिली अब शनिवार 30 ज़िलहिज्जा को माहे मोहर्रम के चाँद होने के साथ करबला के शहीदों की याद मे मजलिस मातम का सिलसिला दो माह और आठ दिनो तक जारी रहेगा।अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के प्रवक्ता सैय्यद मोहम्मद अस्करी के अनुसार शनिवार को माहे मोहर्रम के चाँद निकलने पर अज़ाखानो मे अलम ताबूत ज़री झूला मासूम अली असग़र और तुरबत व तगज़िया रख ठर मजलिस मातम का दौर शुरु होगा।रविवार को पहली मोहर्रम और 9 अगस्त को आशूरा होगा।औरतें चूड़ीयों को तोड़ कर काले लिबास धारण कर लेंगी।लाल पीले नारंगी कपड़ो से दो महिना आठ दिन परहेज़ रहेगा।घरों व इमामबाड़ो पर सियाह परचम लहराने लगेंगे।

मोहर्रम मे पढ़े जाने वाले नौहों की अन्जुमनों ने तर्ज़निगारी के साथ अदायगी की करी तय्यारी

शहर की लगभग दो दर्जन मातमी अन्जुमनों ने माहे मोहर्रम मे पढ़े जाने वाले नौहे की तय्यरी एक हफ्ते पहले से ही शुरु कर दी।अन्जुमनों ने अपने अपने तय शुदा शायरों से कलाम कहलवा कर तर्ज़निगारों से तर्ज़ बनवा कर मंजरे आम पर लाने के लिए प्रैक्टिस शुरु कर दी।अन्जुमन नक़वीया ,अन्जुमन मोहाफिज़े अज़ा ,अन्जुमन असग़रीया ,अन्जुमन हाशिमया ,अन्जुमन मोहाफिज़े अज़ा कदीम ,अन्जुमन हैदरी ,अन्जुमन अब्बासिया ,अन्जुमन हैदरिया ,अन्जुमन आबिदया ,अन्जुमन शब्बीरिया ,अन्जुमन मज़लूमिया ,अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया आदि ने अपने नौहाख्वानों व हमनवाँ साथियों व मातमदारों संग नौहे की तय्यारी शुरु कर दी।

इमामबाड़ों व इमाम चौक पर तगज़िया रखने को ताज़िया बनाने वालों ने दो साल के कोरोना असर के बाद इस बार काफी संख्या मे पहले से ताज़िया तय्यार कर लिया।बख्शी बाज़ार पतंग का कारोबार करने वाले अच्छू भाई इन दिनो पतंग के काम को छोड़ कर ताज़िया बनाने मे लगे हुए हैं।उनके साथ उनके घर की महिलाएँ और बच्चे भी ताज़िया बनाने मे सहयोग करते है।ताज़िया इराक़ के करबला शहर मे इमाम हुसैन के रौज़े की नक़्ल के तौर पर घर घर इमामबाड़ों व इमाम चौक पर हर वर्ष रखा जाता है और आशूरे यानि दसवीं मोहर्रम को इमामबाड़ो पर चढ़े फूलों के साथ ताज़िये को भी करबला ले जाकर दफ्न किया जाता है।

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