खालिद जावेद की द पैराडाइज़ ऑफ फूड को जेसीबी प्राइज़ फॉर लिटरेचर से किया गया सम्मानित

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नई दिल्ली।  खालिद जावेद की ओर से द पैराडाइज़ ऑफ फूड जिसे बारन फरूकी द्वारा अनुवादित और जुगरनॉट द्वारा प्रकाशित किया गया है, को नई दिल्ली के ओबरॉय में 25 लाख के जेसीबी प्राइज़ ऑफ लिटरेचर से सम्मानित किया गया है । विजेता की घोषणा एक हाइब्रिड आयोजन के द्वारा वर्चुअल रूप से जेसीबी के चेयरमैन लोर्ड बैमफोर्ड ने की, जहां विजेता लेखक को जेसीबी इंडिया के चीफ़ ऑपरेटिंग ऑफिसर सुनील खुराना तथा 2022 की जूरी के अध्यक्ष एएस पन्नीरसेलवन द्वारा ट्रॉफी दी गई। द पैराडाइज़ ऑफ फूड एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम संयुक्त परिवार की 50 वर्षों की कहानी है, जिसमें लेखक अपने बचपन से बुढ़ापे तक के संघर्ष को बताता है, अपने घर में और घर के बाहर उसके द्वारा किए गए सभी संघर्षों पर रोशनी डालता है।

द पैराडाइज़ ऑफ फूड चौथा अनुवाद है जिसे इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है तथा पहली उर्दू किताब है जिसे पुरस्कृत किया गया है I खालिद जावेद को पुरस्कार ट्रॉफी भी दी गई, जिसे दिल्ली के कलाकारों ठुकराल और टागरा की जोड़ी द्वारा तैयार किया गया है और इसे ‘मिरर मेल्टिंग’ शीर्षक दिया गया है।
पुरस्कार समारोह की शुरूआत पुरस्कार के लिटरेरी डायरेक्टर मीता कपूर के स्वागत सम्बोधन के साथ हुई, जिसके बाद जेसीबी इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ श्री दीपक शेट्टी ने सम्बोधन दिया। श्रीराम भारतीय कला केन्द्र से शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुगध कर दिया।

पुस्तक का चयन पांच जजों के पैनल द्वारा किया गया, जिनमें एएस पन्नीरसेल्वन (जूरी के अध्यक्ष), अमिताभ बागची, डॉ जे देविका, जेनिस परिआत और राखी बलराम शामिल थे। जूरी के सदस्यों ने द पैराडाइज़ ऑफ फूड की खूब सराहना की।

एएस पन्नीरसेल्वन, जूरी के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘द पैराडाइज़ ऑफ फूड मानवीय भावना, उम्मीद, नुकसान, महत्वाकांक्षा और चिंता जैसी भावनाओं को दर्शाती है। यह कला की बेहतरीन उपलब्धि हे, जो हमारे देश की राजनैतिक उथल-पुथल पर भी रोशनी डालती है। इसका कार्निवलसेक अवयव इसे आधुनिक रूप देता है। “

जेनिस परिआतः यह दुर्लभ एवं खुबसूरत पुस्तक आकर्षक, भव्य अवयवों को बेहतरीन संयोजन है, जो हाल ही के वर्षों में मानवीयता की दोहरे पहलुओं- खूबसूरती एवं कुरूपता, दयालुता एवं क्रूरता, मूर्खता एवं ज्ञान को दर्शाती है। इसने मुझे रोमांचित, चकित और मंत्रमुग्ध कर दिया।

अमिताभ बागचीः यह विलक्षण एवं दिल को छू जाने वाली पुस्तक मानवीय सभ्यता में मौजूद हिंसा पर रोशनी डालती है। इसकी भाषा खूबसूरत एवं आकर्षक है जो लेखक एवं कुशल अनुवादक की उल्लेखनीय साहित्यिक उपलब्धि है। उर्दु की भव्य साहित्यिक परम्परा को दर्शााने वाली यह पुस्तक भारत एवं विदेशों में पढ़े जाने योग्य है।’’

डॉ जे देविकाः द पैराडाइज़ ऑफ फूड दक्षिण एशियाई देशों में उभरे सभ्यता के संकट को दूर करने वाले शक्तिशाली आईस पिक की तरह है। उर्दु की क्षमता के साथ यह राष्ट्र निर्माण को महत्व देती है, हमारा मानना है कि यह काम अपने आप में बेहदखास और प्रेरित हैं
राखी बलरामः खालिद जावेद की द पैराडाइज़ ऑफ फूड समकालीन भातरीय उपन्यास को नया आयाम देती है, उनकी अद्भुत प्रतिभा का विवरण शब्दों में नहीं किया जा सकता। पुस्तक का हर पेज खूबसूरती एवं डर, पवित्रता और अपवित्रता का शानदार संयोजन है। यह भोजन के माध्यम से अद्भुत तरीकों से व्यक्तिगत एवं राजनैतिक समझ को बढ़ावा देती है।

खालिद जावेद: पैराडाइस ऑफ फ़ूड

पैराडाइस ऑफ फ़ूड घर और राष्ट्र का एक क्रूर और मंत्रमुग्ध कर देने वाला लेखा-जोखा है भोजन और रसोई के माध्यम से, पैराडाइस ऑफ फूड, शरीर, घर और राष्ट्र का एक करोड़ किंतु सम्मोहक रचना प्रस्तुत करता है। अति-उपभोक्तावाद द्वारा उपभोग की गई दुनिया में, यह पुस्तक एक महत्वपूर्ण प्रति-कथा प्रदान करती है जो इसे महत्वपूर्ण बनाती है। लेखन के मूल ध्यान में रखते हैं।

श्रीमती बरन फारूकी का परिचय

अनुवादक : श्रीमती बरन फारूकी वर्तमान में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। आप फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कविताओं के संग्रह ‘द कलर्स ऑफ़ माई हार्ट’ की प्रशंसित अनुवादक हैं।

संपादकों के लिए नोट

जेसीबी प्राइज़ फॉर लिटरेचर का परिचय

जेसीबी प्राइज़ फॉर लिटरेचर 2018 में भारत में साहित्यिक उपलब्धि की प्रतिष्ठा बढ़ाने और समकालीन भारतीय लेखन के लिए अधिक दृश्यता बनाने के लिए स्थापित किया गया था। पुरस्कार अनुवाद को प्रोत्साहित करता है और इसका उद्देश्य नए पाठकों को उनकी अपनी भाषा के अलावा अन्य भाषाओं में लिखे गए भारतीय साहित्य के कार्यों से परिचित कराना है। यह जेसीबी द्वारा वित्त पोषित है और जेसीबी लिटरेचर फाउंडेशन द्वारा प्रशासित है।

पुरस्कार के बारे में जानकारी के लिए कृपया देखें: www.theजेसीबी prize.org. अपडेट के लिए, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर जेसीबी प्राइज़ देखें।

महत्वपूर्ण 2021 तिथियाँ

लॉन्ग लिस्ट की घोषणा: 3 सितंबर 2022

शॉर्टलिस्ट की घोषणा: अक्टूबर 2022

विजेता की घोषणा: 19 नवंबर 2022

2018 के विजेता

बेन्यामिन की जैस्मीन डेज़, शहनाज़ हबीब द्वारा मलयालम से अनुवादित।

2019 के विजेता

माधुरी विजय की दि फार फील्ड.

2020 के विजेता

एस हरीश की मुस्टेच, जयश्री कलाथिली द्वारा मलयालम से अनुवादित

2021 के विजेता

एम मुकुंदन की “दिल्ली: ए सोलिलोकी”, मलयालम से फातिमा ई.वी और नंदकुमार के द्वारा अनुवादित

जेसीबी साहित्य संस्थान का परिचय

जेसीबी साहित्य संस्थान, भारतीय कंपनी अधिनियम की धारा 8 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी कंपनी है जोपुरस्कार देने के लिए अकेले जिम्मेदार है।2018 में, जेसीबी इंडिया ने जेसीबी साहित्य संस्थान की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारत में साहित्य की कला को बढ़ावा देना था, और जिसकी प्रमुख गतिविधि जेसीबीप्राइज़ फॉर लिटरेचरका प्रशासन करना था।अर्थमूविंग और निर्माण उपकरण की एक अग्रणी वैश्विक निर्माताकंपनी 1979 से भारत में सक्रिय है। भारत में एक स्थायी सांस्कृतिक विरासत बनाने की जेसीबी की इच्छा देश के सामाजिक और आर्थिक जीवन में इस पर्याप्त और दीर्घकालिक भागीदारी पर आधारित है।

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