केरल राज्य के राज्यपाल ने कहा है कि केरल विधानसभा में पारित क़ानून संवैधानिक नहीं है।
गुरूवार को आरिफ मोहम्मद ख़ान ने कहा कि केरल विधानसभा में पारित इस प्रस्ताव की न तो कोई कानूनी वैधता है और न ही यह संवैधानिक है। अनुसार केरल के गवर्नर का कहना था कि नागरिकता संशोधन क़ानून, केंद्र सरकार का विषय है और इससे राज्य का कोई लेनादेना नहीं है।
इससे पहले भारत के केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि राज्यों को नागरिकता क़ानून लागू करना ही होगा। दूसरी ओर केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने कहा कि राज्य विधानसभाओं के अपने विशेषाधिकार हैं।
A special session of the Kerala Legislative Assembly was convened. The assembly passed a resolution demanding the scrapping of the #CitizenshipAmendmentAct. All main opposition parties of the assembly joined the Government in demanding the withdrawal of CAA.
— Pinarayi Vijayan (@pinarayivijayan) December 31, 2019
ज्ञात रहे कि केरल सरकार ने 31 दिसंबर 2019 को नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया था। यह प्रस्ताव केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और कांग्रेस नेता व सदन में नेता विपक्ष रमेश चेन्निथला ने पेश किया था जो पारित भी हो गया।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का कहना है कि केरल में धर्म निरपेक्षता का इतिहास बहुत पुराना है। उन्होंने कहा कि ईसाई और मुसलमान शुरूआत में ही केरल पहुंचे थे। विजयन ने कहा कि हमारी परंपरा समावेशी है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में कोई भी डिटेंशन सेंटर नहीं बनेगा।
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