एस. एन. वर्मा
देश का सबसे शिक्षित प्रदेश केरल है। यहां के युवक युवतियां भारी संख्या में दूसरे देशों में जाकर नौकरी करते है। कभी अस्पताल में केरल के युवतियों का नर्सो के रूप में बोल बाला रहता था। पर रविवार को इसाइयों के प्रार्थना सभा में हुआ धमाका चिन्तायें पैदा करने वाला है। यहां के मुस्लिम समाज के एक वर्ग में तेजी से कट्टरता का प्रसार देखने को मिल रहा है। जिसकी प्रतिक्रिया यहां के दूसरे समाजों में देखने के मिल रही है। कहते है न कि अच्छी बातों का असर देर से होता है पर बुरी बातों का असर बहुत जल्दी होता है।
रविवार को यहां ईसाइयों के एक प्रार्थना सभा में हुआ धमाका कई नकारत्मक प्रभाव डाल रहा है। भारतीय राज्य व्यवस्था की सुरक्षा को गम्भीर चोट पहुचाने वाले हो रहा है और सामाजिक समरसता को भी गम्भीर चोट पहुंचा रहा है। इस कान्ड के तह में जाकर गुनहगार को पकड़कर उसकी असलियत को उजागर करना निहायत जरूरी है वरना भ्रम और कपोलकाल्यित बाते फैलती रहेगी तरह तरह की काहानियां फैलती रहेगी। जो हालात को बदतर बनाते रहेगे। प्रार्थना सभा में हुये धमाकों में दो महिलाओं सहित तीन लोगो की मौत हो चुकी है। जाहिर है चूकि प्रार्थना सभा इसाइयों की थी इसलिये मरने वाले भी इसाई ही थे। इस हमले का मास्टर माइन्ड कौन है मामले की असलियत जानने के लिये उसकी असलियत जानना जरूरी है। क्योकि मौते तो तीन हुई है पर घायलों की संख्या 50 से ज्यादा है। विस्फोटो की जिम्मेदारी ईसाइयों के यहोवा विटनेस सम्प्रदाय के सदस्य ने ली है। उसने सोशल मीडिया पर एक विडियों सन्देश पोस्ट किया है। पोस्ट में बताया है वह सोलह साल तक इस सम्प्रदाय का सदस्य रहा। आगे कहा है कि उसने महसूस किया है कि यह सम्प्रदाय देश द्रोही है और गलत शिक्षा देता है। पोस्ट करने वाला अपना नाम डोमोनिक मार्टिन बताया है और त्रिचुर पुलिस के सामने समर्पण कर दिया है।
यहां का इसाई समाज राजनीति में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए परेशान है। इसे लेकर कई तरह की कम्युनिस्ट पार्टियों और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के कार्यकर्ताओं में लम्बे अर्से से संघर्ष चल रहा है जो अभी भी जारी है। अफसोसनाक बात यह है कि यह संघर्ष वार्ताओं और प्रचार तक ही सीमित नहीं है। यह खूनी संघर्ष का रूप ले चुका है। विभिन्न धार्मिक और राजनैतिक समूहों की लड़ाई हिंसा और खून खराबे तक पहुंच गई है। यहां एक कार्यक्रम वर्चुवल सम्बोधित किया गया है जिसे लेकर केरल चर्चा में रहा है।
भारत फिलिस्तीन के लोगो के न्यायसंगत अधिकारों का हिमायती है और उसकी वकालत भी करता है। पर इसका यह मतलब तो नहीं कि विदेशो में होने वाले किसी संघर्ष का परोक्ष या अपरोक्ष प्रभाव भारत के जन जीवन पर पड़े। भारत अपनी पुरानी नीति को दोहराता रहता है और उसका अनुशरण भी करता रहता है। विदेशों में प्रचार भी करता रहता है। यूएनओ की बैठकों में भी अपनी प्रतिबद्धता दोहराता रहता है। विदेशी बैठकों में भी अपने तटस्थता और मानवीय रणनीतियों को सबको बताता रहता है और अनुदार देेशो को उसी पर चलने के लिये प्रोत्साहित करता रहता है। भारत इस्राइल और फिलिस्तीन को दो स्वतन्त्र राष्ट्र मानता है। दोनो को सम्प्रभु देश मानता है और इसका समर्थन भी करता है। लेकिन हमास जैसे किसी भी आतंकी संगठन का समर्थन नहीं करता है। पूरी दुनियां को आतंकी संगठनों को प्राश्रय न देने के लिये प्रेरित करता रहता है। चूकि भारत आतंकवाद से घ्रिणा करता है। इसलिये उम्मीद बनती है कि हमारे यहां की केन्द्र राज्य की सुरक्षा एजेन्सियां तत्परता से केरल में इसाई सभा प्रार्थना में हुये विस्फोटो की तह में जाकर धमाकों को अन्जाम देने वालो का पता लगा कर उनके खिलाफ त्वरित कारवाई कर उन्हें कटघरे में पहुचावे उनके मनतव्यों का भी पता लगाये। उन्हें प्राप्त होने वाले धन श्रोतो और उनके दाताओं का भी पता लगाये। कोई विदेशी एजेन्सी तो इन्हें मदद नहीं दे रही है। इसका नेटवर्क हो तो उसे पूरी तरह नष्ट करें।
मुल्क में कुछ राज्यों में विधानसभा के और 2024 में लोकसभा चुनाव आसन्न है। विधानसभा के चुनाव का कार्यक्रम भी आ चुका है। इस अवसर पर विदेशी और देशी षडयन्तकारी समूह और एजेन्सियां माहौल बिगाड़ने के लिये तत्पर रहती है। पैसे भी खर्च करती है। सुरक्षा एजेन्सियां के कुशलता की परख ये चुनाव करायेगे। इस साल खासतौर से केन्द्र का चुनाव काफी संघर्षपूर्ण दिख रहा है क्योंकि अन्य पार्टियां भाजपा के एकक्षत्र लम्बे अवधि से परेशान है।