Indian Railways Kavach System भारतीय रेलवे की कवच प्रणाली रेल संचालन की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक अत्याधुनिक स्वदेशी प्रणाली है। यह प्रणाली डिजिटल रेडियो-आधारित सिग्नलिंग पर काम करती है और ट्रेनों के बीच टकराव को रोकने में मदद करती है। कवच प्रणाली को 2012 में विकसित किया गया था और तब से इसे लगातार इसे बेहतर किया जा रहा है।
साल 2015-16 में हुआ यात्री ट्रेनों पर पहला फील्ड परीक्षण
टीसीएएस को अब ‘कवच’ के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस प्रणाली को वर्ष 2014-15 में दक्षिण मध्य रेलवे पर 250 किलोमीटर रेल मार्ग में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में स्थापित किया गया। वर्ष 2015-16 में यात्री ट्रेनों पर पहला फील्ड परीक्षण किया गया।
इस साल 16 जुलाई को आरडीएसओ द्वारा कवच 4.0 को मंजूरी
मार्च 2022 तक कवच प्रणाली का विस्तार करते हुए 1200 किलोमीटर पर स्थापित किया तथा इसके उपयोगिता को देखते हुए कवच वर्जन 4.0 के विकास के लिए कदम उठाया गया। इस वर्ष 16 जुलाई को आरडीएसओ द्वारा कवच 4.0 को मंजूरी दी गई।
वर्तमान में लोको कवच और पटरियों पर कार्य चल रहा है। लोको कवच के लिए टेंडर कार्य प्रगति पर है। दिल्ली-चेन्नई और मुंबई-चेन्नई खंड व स्वचालित ब्लॉक खंड के कुल 9090 किलोमीटर व 5645 किलोमीटर अन्य खंडो के ट्रैक साइड कार्य के लिए टेंडर आमंत्रित की गई है। नवंबर में ही टेंडर फाइनल होने की उम्मीद है।