कर्बला मुर्दा ज़मीरों को ज़िन्दा करती है सोये नसीबों को जगाती है -मौलाना अब्बास अली खान 

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अवधनामा संवाददाता

इताअत के मरकज़ का नाम है कर्बला – मौलाना जाबिर  जौरासी
बगैर मारेफ़त ए अहलेबैत ए नबूअत मारेफ़त ए ख़ुदा मुमकिन नहीं-मौलाना मो0 मुजतबा ” मीसम “
इंसानियत को ज़िन्दगी अता करने वाले को हुसैन कहते है ,जहां जहां इंसानियत होगी वहां वहां ज़िक्रे हुसैन होगा -मौलाना हिलाल अब्बास 
बाराबंकी । कर्बला मुर्दा ज़मीरों को ज़िन्दा करती है सोये नसीबों को जगाती है यह बात मौलाना अब्बास अली खान ने मौलाना गुलाम  अस्करी हाल में अशरे की तीसरी मजलिस  को ख़िताब करते हुए कही ।मौलाना ने यह भीकहा कि सोया ज़मीर जब जाग जाता है तो हुर यजीदी ख़ैमे से हुसैनी ख़ैमे में नज़र आता है। इमाम बाड़ा मीर मासूम अली कटरा मे असरे की तीसरी मजलिस को ख़िताब  करते हुए आली जनाब मौलाना जाबिर जौरासी साहब ने कहा कि मारेफ़ते इमामके लिए आंखें जरूरी नहीं बनाई ज़रूरी है।मौलाना ने यह भी कहा कि बत्तरीन गिज़ा हराम खाना हैऔर बत्तरीन ज़ुल्म  कमजोरों पर ज़ुल्म करना है। मजलिस से पहले  साहिल , बाक़र नक़वी,अदनान व कामयाब ने नज़रानए अक़ीदत पेश किए। मजलिस का आग़ाज तिलावत ए कलाम ए पाक से हुआ।आखिर मे मौलाना ने मसायब पेश किए जिसे सुनकर मोमनीन रो पड़े ।आग़ा फ़य्याज मियांजानी के अजाखाने की तीसरी मजलिस को मौलाना फ़ैज़ान मेहदी जैदपुरी ने खिताब  करते हुए कहा इस्लाम पैगम्बर के अख़लाक व किरदार से फैला , तलवार से नहीं।इस्लाम की इब्तेदा दावते ज़ुल असीरा मे हुई , मुकम्मल गदीर में हुआ ,बक़ा करबला में मिली । हाजी सरवर अली करबलाई व दानिश ने नजरानए अक़ीदत पेश किए। वही रसूलपुर मे मोहसिन  साहब के अजाखाने की  मजलिस को आली जनाब  मौलाना तसनीम हैदर साहब ने ख़िताब  किया । नसीर अन्सारी , हाजी सरवर अली करबलाई, अहमद रज़ा व कामयाब ने नज़रानए अक़ीदत पेश किए। करबला सिविल लाइन और रिफाकत रिजवी के अजाखाने मे मौलाना मो0 मुजतबा ” मीसम ” साहब ने मजलिस को ख़िताब  करते हुए कहा अगर अल्लाह अपने नूर को पैकरे इंसानी में न भेजता तो मारफ़ते ख़ुदा मुमकिन न होती ।बन्दा जिन नेमतो का शुक्रिया अदा करता है खुदा उसमे बरकत अता कर देता है । डा 0 रज़ा मौरानवी,  हाजी सरवर अली करबलाई, कामयाब, तालिब जैदी व गाज़ी इमाम  ने नजरानए अक़ीदत पेश किए।
तकैया बेगम के अज़ाखाने में अशरे की तीसरी मजलिस को खिताब  करते हुए मौलाना हिलाल अब्बास साहब ने  कहा इस्लाम वो दरख्त है जो दिल की ज़मीन पर उगता है । इंसानियत को ज़िन्दगी अता करने वाले को हुसैन कहते है ,जहां जहां इंसानियत होगी वहां वहां ज़िक्रे हुसैन होगा ।अहलेबैत की मोहब्बत के बग़ैर कोई अमल काबिले कुबूल नही ।तालिब जैदी कामयाब, गाजी इमाम,व केयान अब्बास ने नजरानए  अक़ीदत  पेश  किया ।करबला  वालों के मसायब  सुनकर अजादार  रो पड़े।बानिये मजलिस मुतवल्ली सरवर अली रिजवी ने सभी का शुक्रिया अदा किया।मजलिस का ये सिलसिला बेगमगंज  , डाक्टर असद (मरहूम अतहर एडवोकेट)के अजाखाने में जहां मजलिस को मौलाना रज़ा ज़ैदपुरी ने खिताब किया । मजलिस का ये सिलसिला कम्पनी बाग ,लाइन पुरवा रफी नगर, अस्करी नगर,बेलहरा हाउस , तकिया व पीर बटावन मे देर रात तमाम हुआ।
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