बेलवा गांव से निकाली गई कलश शोभा यात्रा

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शोहरतगढ़ सिद्धार्थनगर। शोहरतगढ़ तहसील क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम पंचायत बेलवा गांव से निकाली गई कलश शोभा यात्रा। कलश शोभा यात्रा में भक्ति गीतों की धुनों पर रास्ते भर थिरकते महिलाएं व पुरुष ने बानगंगा नदी से जल भरकर श्रीमद् भागवत कथा का हुआ शुभारंभ।श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ से पहले कलश यात्रा निकाली गई। इस दौरान अबीर-गुलाल उड़ाते हुए भक्त जयकारों की बीच भक्ति गीतों पर थिरकते हुए बानगंगा नदी पर पहुंचे। यहां पीला वस्त्रधारी महिलाएं व युवतियों जल भरकर  वापस कथा स्थल बेलवा गांव में पहुंच कर कलश स्थापित किया।

शोहरतगढ़ तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत बेलवा गांव निवासी रोहित सिंह द्धारा  आयोजित श्रीमद् भागवत कथा से पहले यजमान पार्वती सिंह ने भक्तों के साथ कलश यात्रा निकाली।यह कलश शोभायात्रा बेलवा गांव से महदेवा, रेलवे क्रासिंग, उदयराजगंज, चिल्हिया, गौहनिया, शोहरतगढ़ होते हुए बानगंगा नदी पर पहुंचा।यहां वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पीला वस्त्रधारी महिलाएं व युवतियों ने जल भरा। कलश शोभायात्रा में आगे-आगे चल रही हाथी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। कलश शोभायात्रा  में शामिल भक्तगण भक्ति गीतों पर रास्ते भर अबीर-गुलाल उड़ाते हुए डांस करते रहे। प्रभु का जयकारा भी रास्ते भर लगते रहे।बानगंगा नदी से जल भरकर वापस शोहरतगढ़ श्रीराम जानकी मंदिर ,चिल्हिया, रेलवे क्रासिंग होते हुए महदेवा, बेलवा गांव के प्राचीन काली मंदिर, शिव मंदिर, हनुमान मंदिर व सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित कर आयोजन स्थल पर पहुंचकर कथावाचक उदय नारायण पाण्डेय ने धार्मिक विधि एवं वैदिक मंत्रोच्चरण के साथ कलश स्थापित कराया गया। आरती के साथ शुरू किए गए श्रीमद् भागवत कथा के कथा वाचक उदय नारायण पाण्डेय ने मौजूद श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम इसकी महिमा से अवगत कराया और उन्होंने बताया कि विश्व में सभी कथाओं में श्रीमद्भागवत कथा श्रेष्ठ मानी गई है। जिस स्थान पर इस कथा का आयोजन होता है वो तीर्थ स्थल कहलाता है।

श्रीमद्भागवत कथा सुनने एवं आयोजन कराने के वाले सौभाग्य होते हैं ऐसे में अगर कोई दूसरा व्यक्ति भी इसे गलती से भी श्रवण कर लेता है, तो भी वो कई पापों से मुक्ति पा लेता है। इसलिए सात दिन तक चलने वाली इस पवित्र श्रीमद्भागवत कथा को श्रवण करके अपने जीवन को सुधारने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। अगर कोई सात तक किसी व्यवस्तता के कारण नहीं सुन सकता है तो वह दो तीन या चार दिन ही इसे सुनने के लिए अपना समय अवश्य निकालें। तब भी वो इसका फल प्राप्त करता है, क्योंकि ये कथा भगवान श्री कृष्ण के मुख की वाणी है, जिसमें उनके अवतार से लेकर कंस वध का प्रसंग का उल्लेख होने के साथ साथ इसकी व्यक्ति के जीवन में महत्ता के बारे में भी बताया गया है। इसके सुनने के प्रभाव से मनुष्य बुराई त्याग कर धर्म के रास्ते पर चलने के साथ साथ मोक्ष को प्राप्त करता है। इस कथा को सबसे पहले अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने सुना था, जिसके प्रभाव से उसके अंदर तक्षक नामक नाग के काटने से होने वाली मृत्य़ु का भय दूर हुआ और उसने मोक्ष को प्राप्त किया था। इस दौरान कथा वाचक उदय नारायण पाण्डेय, यजमान पार्वती सिंह, रीता सिंह, मंजू सिंह, राधा सिंह, रीना सिंह, आरती सिंह, माही सिंह, निक्की सिंह, गुड्डी, दिवाली, काव्या, हर्षित, हर्षित, गगन, आदित्य, अक्षय उत्तरा व श्रीमद्भागवत कथा आयोजक कर्ता रोहित सिंह के साथ बेलवा महदेवा के ग्रामीण मौजूद रहे।

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