ज्येष्ठ पूर्णिमा शनिवार, 22 जून को आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में ठाकुर श्रीजी और राधा रानी का एक साथ जुगल अभिषेक होगा। वर्ष में केवल एक बार ही इसी दिन ठाकुरजी और राधा रानी का एक साथ अभिषेक होता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर राधाजी के विग्रह को दूसरे कक्ष में प्रतिष्ठित कर दिया जाता है, केवल ठाकुरजी का ही अभिषेक दर्शन होता है। इसी प्रकार राधाष्टमी को राधा जी के विग्रह को ठाकुरजी के विग्रह से आगे लाकर अभिषेक किया जाता है। इस दौरान ठाकुरजी के दर्शन नहीं होते। वर्ष में ज्येष्ठ पूर्णिमा को ही ठाकुरजी और राधाजी का एक साथ अभिषेक किया जाता है। श्री माधव गौड़ीय संप्रदाय में इस जुगल अभिषेक दर्शन बहुत ही दुर्लभ बताया गया है।
गोविंद देवजी मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में दोपहर को साढ़े बारह बजे जल यात्रा झांकी के दर्शन होंगे। ठाकुरजी और राधा रानी सफेद सूती पोशाक में पुष्प श्रृंगार में दर्शन देंगे। पांच मिनिट बाद झांकी के पट मंगल होंगे। इस अवधि में ज्येष्ठाभिषेक की तैयारी की जाएगी। दुबारा पट खुलने पर ठाकुरजी को पांच तरह के फल, पांच तरह का दाल बिजोना, पंच मेवा, ठंडाई और लड्डू का भोग लगाया जाएगा। जुगलवर के अभिषेक के दौरान चांदी की होदी को आगे से टाटी से ढक दिया जाएगा जिससे ठाकुरजी और राधा रानी के केवल मुखारविंद के ही दर्शन होंगे। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी सुगंधित शीतल जल से जुगलवर का अभिषेक करेंगे। इस दौरान मंदिर के सेवायतन मंत्रोच्चार करेंगे।
बदलेगा ठाकुरजी का सिंहासन
ज्येष्ठाभिषेक के साथ ही ठाकुरजी का जल यात्रा उत्सव संपन्न होगा। इसी दिन से ठाकुरजी का सिंहासन भी बदल दिया जाएगा। अभी ठाकुरजी चांदी की होदी का सिंहासन पर विराजमान है। एकम् से ध्वज पताका सिंहासन पर आरूढ़ होंगे।