Thursday, May 15, 2025
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जस्टिस बी आर गवई बने भारत के मुख्य न्यायाधीश, बौद्धों ने खुशी जताई

देश के पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश के रूप में बी आर गवई के शपथग्रहण पर बौद्ध धम्म के अनुयायियों और बौद्ध संगठनों ने हर्ष जताया है और सुप्रीम कोर्ट के नव नियुक्त मुख्य न्यायाधीश को बधाई और शुभकामनाएं दीं हैं।

बामसेफ के जिला संयोजक संजीव भारती ने कहा कि बौद्ध धम्म के अनुयाई जस्टिस गवई का सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनना ऐतिहासिक और सामाजिक परिवर्तन के आंदोलन की जीत है। जस्टिस गवई भारत में बाबा साहब डॉ अम्बेडकर की विरासत को आगे बढ़ाने वाले परिवार से हैं,यह बौद्धों के सबसे बड़ी खुशी की बात है।

विश्व बौद्ध संघ के राष्ट्रीय संरक्षक आर सी बौद्ध ने जस्टिस बी आर गवई देश के पहले मुख्य न्यायाधीश हैं जिन्हें भारत में आम्बेडकरवादी विचार धारा के एक स्तम्भ के रूप में जाना जाता है। राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य शकुंतला भारती, मुख्य अभियंता इंजीनियर वी पी सिंह, अधिशासी अभियंता इंजीनियर रमेश चंद्र, अनिल कुमार राव, इंजीनियर शैलेन्द्र कुमार, लेखाधिकारी अमरनाथ,वीरांगना झलकारी बाई चेतना समिति के अध्यक्ष संजय कुमार शास्त्री, सिरमौर बौद्ध विहार के प्रबंधक भंते प्रज्ञा मित्र, अध्यक्ष भंते धम्मदीप, सचिव राम फल फौजी, अम्बेडकर कल्याण समिति के महामंत्री डॉ जयभीम बौद्ध, संरक्षक इन्द्र पाल गौतम, बौद्धाचार्य हौंसिला प्रसाद,तुलसी राम शास्त्री, अम्बेडकर सेवा समिति के अध्यक्ष उदय राज राव, महामंत्री राम चन्द्र बौद्ध, ललित कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट वासुदेव मौर्य, सामाजिक चिंतक और लेखक के पी सविता, भारतीय बौद्ध महासभा के अध्यक्ष डॉ सुनील दत्त, कवि राम चन्द्र सरस,राम अभिलाष बौद्ध, राम चन्द्र मौर्य,आर बी चक्रवर्ती एडवोकेट,प्रमोद कुमार एडवोकेट,चंदन भीम एडवोकेट,कुल रोशन एडवोकेट, त्रिभुवन दत्त,राम बली गौतम, वेद प्रकाश, डॉ नीरज वर्मा, डॉ प्रवीण आर्य, डॉ नन्हे लाल,दीपा बौद्ध आदि ने बी आर गवई के कार्यभार ग्रहण करने पर हर्ष व्यक्त किया है।

राष्ट्रपति भवन में शपथ लेने के बाद जब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) जस्टिस बीआर गवई का वकीलों ने स्वागत किया, तो उन्होंने ‘जय भीम’ कहकर जवाब दिया। यह नारा डॉ. भीमराव आंबेडकर और दलित आंदोलन की विचारधारा से जुड़ा हुआ है। जस्टिस गवई का यह अभिवादन उनके बाबा साहेब के प्रति सम्मान और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

जस्टिस बीआर गवई देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर पहुंचने वाले दूसरे दलित CJI हैं। उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन 2007 में इस पद पर पहुंचे थे। बताया जाता है कि जस्टिस गवई पर आंबेडकरवादी विचारधारा का गहरा प्रभाव रहा है।

उनके पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई, जो खुद भीमराव आंबेडकर के करीबी माने जाते थे, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) से जुड़े रहे और उन्होंने पार्टी के टिकट पर चुनाव भी लड़ा। बाद में कांग्रेस की मदद से वे राज्यसभा और लोकसभा दोनों में पहुंचे।

जस्टिस गवई का सर्वोच्च न्यायालय की बेंच तक पहुंचना न केवल न्यायपालिका के लिए, बल्कि सामाजिक न्याय की दृष्टि से भी ऐतिहासिक माना जा रहा है।

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