पत्रकार उत्पीड़न की घटनाओं पर पत्रकारों का फूटा गुस्सा

0
120
पीड़ित पत्रकारों के साथ खड़ी है अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति- बृज बिहारी त्रिपाठी
योगी जी को यह नहीं भूलना चाहिए कि यही पुलिस उनको सदन में रुलायी थी- संजय चाणक्य
कुशीनगर। सूबे मे बलिया के बाद  व कानपुर मे हुए पत्रकार उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर पत्रकारो मे नाराजगी स्पष्ट दिख रही है। अब तो पत्रकारो ने यह भी कहना शुरू कर दिया है कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि  पत्रकारो का उत्पीड़न व पत्रकारों को झूठे केस मे फसाना सूबे की योगी सरकार के नौकरशाहों के प्राथमिकता मे शामिल है।  पत्रकार उत्पीड़न की घटनाओं से पत्रकारिता जगत से जुड़े लोगों व संगठनों की चिंता बढ़ गयी है। इन घटनाओं से जहाँ सरकार के प्रति आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है, वही पत्रकार संगठनों के विरोध के स्वर भी तेज हो गये है।
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के गोरखपुर व बस्ती मण्डल प्रभारी बृजबिहारी त्रिपाठी ने पत्रकार एकता पर जोर देते हुए कहा कि बलिया में जो पत्रकारों के साथ जिला प्रशासन द्वारा षड़यंत्र कर फंसाने का कार्य किया गया, इससे पत्रकारों के प्रति सरकार की मानसिकता भी सामने आई है। मामले की न्यायिक जांच कराकर डीएम व एसपी को दोषी पाए जाने पर सरकार बर्खास्त करे। आगे कहा कि पीड़ित पत्रकारों को भी चाहिए कि उत्पीड़न के मामले में मानहानि को लेकर न्यायालय की शरण मे जाए। उनके इस कदम को अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति हर कदम पर सहयोग करेगा। श्रमजीवी के जिला महासचिव वरिष्ठ पत्रकार संजय चाणक्य ने बलिया व कानपुर में हुए घटनाओं की घोर निंदा करते हुए कहा कि योगी सरकार मे पत्रकारों के साथ अन्याय हो रहा है प्रशासन अपनी कमियां छिपाने के लिए पत्रकारों का आवाज दबाने का काम कर रही है। इसे पत्रकार संघ बर्दास्त नहीं करेगा। चाणक्य ने कहा कि सीएम योगी को यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस पुलिस विभाग को वह सबसे ईमानदार और काबिल समझ रहे हैं वही पुलिस वर्ष 2007 मे उन्हे सदन में रुलाया था। पत्रकरो के साथ पुलिस जिस तरह का नंगा नाच कर रही है। उस पर यही कहा जा सकता है कि वहां की पुलिस को उसी तरह से नंगा किया जाय। आगे कहा कि मुख्यमंत्री को आगे आकर  बलिया व कानपुर जैसी घटना की पुनरावृत्ति होगी होगी इसकी गारंटी देनी चाहिए।
ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन उतर प्रदेश के प्रांतीय प्रचार मंत्री व वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि बलिया प्रकरण में पत्रकारों की रिहाई लोकतंत्र की जीत और सरकार की हार है। ग्रापये ने बिगुल बजाया और आवाज बुलंद की। एक सवाल के जबाब में कहा कि वहां के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को सरकार हटाए। ऐसी गलती फिर से पत्रकारों के साथ न हो।
वरिष्ठ पत्रकार ज्योतिभान मिश्रा ने कहा कि सरकार द्वारा अधिकारियों को खुली छूट दी गयी है। अधिकारी मनमानी तरीके से अपने भ्रष्टाचार के काले कारनामे को संचालित कर रहे हैं। जिससे पर्दा उठाने वाले पत्रकारों के साथ बलिया जैसा कांड हो रहा है।
पूर्वांचल पत्रकार एसोसिएशन के कुशीनगर जिलाध्यक्ष संदीप त्रिपाठी ने कहा कि प्रशासन पत्रकारों के मामले में पुरी तरह से निरंकुश है। यह किसी भी पत्रकार व संगठन के हित मे नहीं है। इसके लिए पूर्वांचल पत्रकार एसोसिएशन सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष कर पत्रकारों के हित, सुरक्षा व मान सम्मान के लिए सदैव संघर्षरत रहेगा।
Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here