जेडीए ने उठाई मांग, जेडीएफ फंड के चार करोड़ पीड़िता के माता-पिता को सौंपे जाएं;

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आरजी कर आंदोलन के दौरान एकत्रित अभया फंड को लेकर नवगठित जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जेडीए) ने नई मांग रखी है। एसोसिएशन का कहना है कि अभया फंड में जमा चार करोड़ से अधिक की राशि पीड़िता के माता-पिता को दी जाए। जेडीए के इस बयान पर आंदोलन की कमान संभाल रहे जूनियर डॉक्टर्स फोरम (जेडीएफ) ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि फंड का इस्तेमाल जनता के हित में पारदर्शिता से होगा और इसमें किसी बाहरी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

जेडीए के प्रमुख श्रीष चक्रवर्ती ने एक वीडियो संदेश में जेडीएफ पर आरोप लगाते हुए कहा कि “जेडीएफ ने अभया फंड के नाम पर चार करोड़ 75 लाख रुपये इकट्ठा किए हैं, जो पीड़िता के माता-पिता के हवाले किए जाने चाहिए।” वहीं, जेडीएफ की प्रमुख सदस्य रूमेलिका कुमार ने जवाब देते हुए कहा कि जनता ने उन पर भरोसा जताकर फंड दिया है, जिसे पारदर्शिता से खर्च करना उनका कर्तव्य है और इसमें बाहरी दखल की आवश्यकता नहीं है। जेडीएफ ने इसके लिए एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की नियुक्ति भी की है, जो फंड की पारदर्शिता पर निगरानी रखेंगे।

साथ ही, जेडीएफ ने सीबीआई जांच को लेकर कई सवाल उठाए हैं। देबाशीष ने कहा कि “सीबीआई की प्रारंभिक चार्जशीट, जो सोशल मीडिया पर चल रही है, अगर सच है, तो यह काफी कमजोर लगती है।” उन्होंने सवाल किया कि पीड़िता के पिता को उसकी बॉडी दिखाने में तीन घंटे की देरी क्यों की गई, साक्ष्यों के फॉरेंसिक टेस्ट में इतनी देरी क्यों हुई और अन्य जांच प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठाए।

उल्लेखनीय है कि जेडीए ने 26 अक्टूबर को एक नए संगठन के रूप में अपनी शुरुआत की थी और उसी दिन जेडीएफ पर आंदोलन के नाम पर करोड़ों रुपये इकट्ठा कर गबन करने का आरोप लगाया था।

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