अवधनामा संवाददाता
भारतीय संस्कृति के संवाहक थे आचार्य प्रवर विद्यासागर महाराज
वक्ताओं ने आचार्य श्रेष्ठ को सदी का महानतम संत बताया
ललितपुर। जैन शिक्षक सामाजिक समूह ललितपुर के तत्वावधान में अभिनंदनोदय तीर्थ क्षेत्र के मुख्य गेट के बाहर आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के समाधिमरण पर विनयांजलि सभा का आयोजन किया गया। समाज महामंत्री आकाश जैन ने अपनी विनयांजलि में कहा कि आचार्यश्री जैन समाज ही नहीं जन-जन के संत थे। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष विनोद निरंजन ने कहा कि आचार्यश्री सचमुच में राष्ट्र संत थे। कोषाध्यक्ष अनिल त्रिपाठी ने आचार्यश्री के योगदान को अविस्मरणीय बताया। ब्रजेश चौरसिया ने कहा कि वर्ष 2018 में आचार्यश्री के ललितपुर में दर्शन किए उनकी मनमोहक छवि को देखकर ऐसे लगा कि मैंने साक्षात ईश्वर के दर्शन कर लिए हों। जितेंद्र जैन ने कहा कि आचार्यश्री के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके बताये हुए मार्ग पर चलें तभी हमारी आचार्य श्री के लिए सच्ची विनयांजलि होगी। सत्येंद्र जैन ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि इस युग में आचार्यश्री का जन्म हुआ। जैन पंचायत के शिक्षामंत्री प्रफुल्ल जैन ने कहा कि गुरुवर चलते-फिरते तीर्थ थे। उन्होंने 507 दीक्षाएं प्रदान कीं। वर्णी कालेज के प्रवक्ता डा.विवेक जैन ने कहा कि आचार्यश्री त्याग, तपस्या, साधना की प्रतिमूर्ति थे। सचिन शास्त्री ने कहा कि आचार्य श्री के दिखाए गए रास्ते पर चलने का संकल्प लें। प्रवक्ता राहुल जैन ने कहा कि आचार्यश्री ने अपने संपूर्ण जीवन से यह सिखाया कि जीवन को कैसे जीना चाहिए। डा.राजेश शास्त्री ने कहा कि संत शिरोमणि आचार्य भगवन विद्यासागर महाराज व्यापक दृष्टि के चिन्तक थे। शीलचंद्र जैन ने कविता के द्वारा विनयांजलि व्यक्त की। मृत्यु महोत्सव है गुरुवर का, नहीं शोक के पल। बने हैं लौकान्तिक देव, स्वर्ग में होती है हलचल। विनीत जैन ने कहा कि आचार्य श्री चलते-फिरते विश्वविद्यालय थे। डा.सुनील जैन ने कहा कि बेमिशाल, अद्भुत विराट व्यक्तित्व एवं कृतित्व के धनी आचार्यश्री। उनके जीवन पर 56 से अधिक पीएचडी हुई हैं। राजीव जैन ने कहा कि गुरुवर भारतीय संस्कृति के संवाहक थे। रागिनी जैन ने कहा कि आचार्यश्री ने इंडिया नहीं भारत बोलने का आह्वान किया था। इंद्रा जैन ने कहा कि स्वदेशी की भावना आचार्यश्री ने जाग्रत की थी। इस दौरान अनेकों लोग मौजूद रहे।