अवधनामा संवाददाता
पराली जलाने पर दर्ज हो रहे मुकदमो से असमंजस की स्थिति में किसान
प्रदूषण को लेकर ईट भटठो एवं कोल्हू के मालिको के ऊपर क्यो नही हो रही कार्यवाही
मोहम्मदी.खीरी। ग्रामीण क्षेत्रो में धान कटने के बाद फसल के अवशेष पराली आदि जलाने पर न्यायालय से लेकर सरकार तक कड़ा रूख अपनाते हुए है। प्रदेश भर सहित मोहम्मदी तहसील क्षेत्र में कई किसानो के विरूद्ध पसगवां एवं मोहम्मदी कोतवाली में मुकदमे भी प्रशासन ने दर्ज कराये। जिससे किसान जो महंगाई एवं उसकी उपज के उचित मूल्य न मिलने के कारण खासा तंगहाली में जी रहा है। ऊपर से पराली जलाने पर दर्ज हो रहे मुकदमो से वो असमंजस की स्थिति में और उसके मन मे सवाल उठ रहा है कि क्या सिर्फ पराली जलाने से ही देश में प्रदूषण फैल रहा है। आठ माह तक ईट भटठो से जो आबादी के बीच है की चिमनियों से रात.दिन भारी मात्रा में निकलने वाला जहरीले धुए से एवं छः माह तक गांव.गांव लगी गन्ना गुड़ कोल्हू की भटिटयो से निकले वाला धुए से क्या पोषक तत्व उगल रहे है। जबकि इन ईट भटठो एवं कोल्हू में ट्रको आदि के पुराने टायर काट कर जलाये जा रहे है। इनसे निकलने वाला धुआ एवं वायु में फैल कर गिरने वाली राखी से आमजन जीवन ही नहीं खेतो में खड़ी फसले तथा आमए अमरूद एवं केले के बागो पर खासा खराब असर पड़ रहा है। इन जहर उगलती चिमनियो पर पाबन्दी क्यो नहीं लगाई जा रही घ् अन्नदाता के ही विरूद्ध ये नियम क्यो घ्वायु प्रदूषण को लेकर सरकार एवं न्यायालय खासे गम्भीर है। जिसके चलते सरकार ने पुराने डीजल वाहनो को चलन से बाहर करा दिया। वाहनो के बाद किसान जिसे देश का अन्नदाता कहा जाता है सरकार और न्यायालय के निशाने पर आया। किसान धान या गन्ने के अवशेष खेत में जलाता है तो वो गम्भीर अपराध करता है। कमिश्नर से लेकर लेखपाल तक अन्नदाता पर टेढ़ी नज़र रखे यही नहीं पराली जलाने पर सेटलाइट कैमरे से नज़र रखी जा रही और अन्नदाता पर मुकदमे धड़ा.धड़ दर्ज किये जा रहे है। किसान के खेत की पराली या गन्ने की पत्ती तो दो.चार घण्टे ही खुले में जलती है। जिससे इतना प्रदूषण नहीं फैलता जितना कुम्भी चीनी मिलए अजबापुर चीनी मिल तथा तहसील क्षेत्र में लगे सैकड़ो ईट के भटठो की चिमनियो एवं क्षेत्र के गांव.गांव छः.सात माह तक चलने वाले गुड के कोल्हू की चिमनियो से निकलने वाला धुआ प्रदूषण एवं जहर की जगह क्या पोषक तत्व उगल रहे है। यही नही ये मिलोए ईट भटठो एवं गुड़ कोल्हू की चिमनियो से आठ माह तक उगलने वाला गहरा काला धुए पर न शासन.प्रशासन की नज़र पड़ रही है और न सैटेलाइट की रेंज में आ रहा है। शासनए प्रशासन मिल मालिको के आगे तो घुटने टेके है साथ ही इन भट्ठो एवं गुड़ कोल्हू पर क्यो इतना मेहरबान है घ् जबकि इन्ही तीनो से भंयकर रूप से प्रदूषण फैल रहा है। भटठो तथा गुड़ कोल्हू की मानक विहीन चिमनियों से निकलने वाली राख राह चलते राहगीरोए पास के घर गांवो में गिर रही है जिससे घरो का वातावरण दूषित हो रहा है। नगर के अन्दर लगे ईट भटठो की चिमिनियों से गिरने वाली राखी से आम जन खासा परेशान है। ईट भट्ठो के लिये सरकार एवं प्रदूषण मन्त्रालय एवं विभाग के सख्त नियम है कि ईट भट्ठे आबादी एवं बागो के निकट नहीं होगे। लेकिन मोहम्मदी नगर में पांच ईट के भट्ठे निमयो एवं कानून को ताक पर रखकर बेखौफ होकर अत्यन्त दूषित जहरीला धुआ उगल रहे है। नोटो की मोटी.मोटी गडिडयो के दम पर जिम्मेदार आंखे मंूदे है। ये भट्ठे एवं मानक पूरा नहीं कर रहे है नगर सीमा के अन्दर ईट भट्ठो के संचालन पर प्रतिबन्ध है। हाईवे से मानक दूरी होनी चाहिये सबका ये खुला उंलघन कर भंयकर प्रदूषण फैला रहे है लेकिन सैटेलाइट का कैमरा इसको कैद नहीं कर रहा है। क्या सैटेलाइट कैमरा भी भ्रष्टाचार के जाल में फंस गया जो चीनी मिलोंए ईट भटठो एवं गुड़ कोल्हू की चिमनियो से निकल रहे जहर को कैद नहीं कर पा रहा। सिर्फ अन्नदाता की पराली और पत्ती जलाते ही कैद कर रहा है। अन्नदाता पूछता है कि ये कैसा कानून है हमारे देश का घ्