बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय लखनऊ में आज दुनिया में ईरानी क्रांति के प्रभाव पर बात हुई।
ईरान की इस्लामी क्रांति ने दुनिया भर के लोगों के सोचने का तरीका बदल दिया है कि सभी मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं। ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद शिया राष्ट्र की एक अलग पहचान बनी और शिया कौम को एक शांतिप्रिय और अच्छे व्यवहार वाले राष्ट्र के रूप में मान्यता मिली।
इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ. सैय्यद मुहम्मद कामिल रिज़वी ने अपने विचार व्यक्त किये। अपने बयान में उन्होंने कहा -कि ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद, शिया राष्ट्र की एक अलग पहचान हुई। उसी समय, इमाम खुमैनी की अच्छी गति और चरित्र के कारण, शिया कौम को एक शांतिप्रिय और अच्छे व्यवहार वाले राष्ट्र के रूप में मान्यता मिली।
डॉ. सैय्यद मुहम्मद कामिल रिज़वी अपनी बात में आगे बताया आज दुनिया में ईरानी क्रांति के प्रभाव क्या हैं? के बारे में बात करते हुए कहा कि ईमाम खुमैनी के एक महान इनीसियेटिव की बदौलत ईरान में अत्याचारी गवर्नमेंट के विरुद्ध एक रिवल्यूशन आया और इस ईरानी इंकलाब के बाद 11 फरवरी 1979 को एक पुरुसुकून हुकूमत कायम हुई जिसको पूरी दुनिया ने सराहा और मुसलमानों के शिया फिरके की अलग पहचान बनी। इस इंकलाब के पहले दुनिया के अधिकतर लोग शिया मज़हब से परिचित नहीं थे। जिसमें हमारा मुल्क हिंदुस्तान भी शामिल है। परंतु इस इंकलाब के बाद शिया कौम की एक अलग पहचान हुई साथ ही साथ इमामें खुमैनी के अच्छे आचरण तथा किरदार की वजह से शिया कौम को एक शान्ति प्रिय तथा अच्छे आचरण वाली कौम माना जाने लगा।
ईरानी इंकलाब के बाद हमारे मुल्क हिंदुस्तान में लोगों की सोच में एक बहुत बड़ा बदलाव ये आया कि ये सभी मुसलमान आतंकवादी नहीं होते हैं। विशेष रूप से शिया कौम को इस कैटेगरी से अलग करके देखा जाने लगा। मैं समझता हूं ईमाम खुमैनी के तमाम अच्छे कार्यों के साथ एक ये भी बहुत बड़ा कार्य है कि हम शिया कौम को हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि दुनिया के हर हिस्से में एक आम नागरिक की पहचान बनायी और हमें आतंकवादी के शक की निगाहों से नहीं देखा जाने लगा। हम इस अवसर पर ईरान की आवाम को मुबारकबाद देते हैं और खुदा से दुआ करते हैं कि ईरान को और तरक्की अता करें तथा ईमाम खुमैनी की मग़फ़िरत फरमाये और उन्हें जवारे मासूमीन में जगह अता करें।