ईरान के सुप्रीम लीडर ने दिया बड़ा बयान – कहा, अमेरिका से कभी बात नहीं करेंगे

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ईरान के सरकारी टीवी चैनल ने सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह खामेनेई के हवाले से कहा, “ईरानी अधिकारी किसी भी स्तर पर कभी भी अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत नहीं करेंगे… यह उनकी ईरान पर दबाव बनाने की नीति का हिस्सा है… उनकी ईरान पर अधिकतम दबाव डालने की नीति नाकाम होगी.

” खामेनेई के मुताबिक ईरान के सभी अधिकारी इस बात पर यकीन रखते हैं. उनका यह भी कहना है, “अगर अमेरिका अपना व्यवहार बदलता है और 2015 के परमाणु करार पर लौट आता है तो इस करार के बाकी सहयोगियों के साथ बातचीत में ईरान शामिल हो सकता है.”

इसी महीने फ्रांस में जी7 देशों की बैठक के समापन के समय फ्रांस के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से ईरान के मुद्दे पर बात की. इसके बाद ट्रंप ने कहा था कि अगर परिस्थितियां उचित हुईं तो वह ईरान से बात कर सकते हैं. इसी महीने संयुक्त राष्ट्र की आमसभा होने वाली है और उम्मीद की जा रही है कि इस दौरान भी ईरान का मुद्दा छाया रहेगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पिछले साल परमाणु करार से बाहर आने का एकतरफा एलान कर दिया. इसके बाद ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए. अमेरिका की “अधिकतम दबाव” की नीति के जवाब में ईरान भी अपने वादे से पीछे हट गया और नाभिकीय संवर्धन को तेज करने की बात कही. ईरान का आरोप है कि अमेरिकी प्रतिबंधों की आंच से उसे बचाने में यूरोपीय देश नाकाम रहे हैं. ईरान के साथ समझौते में संयुक्त राष्ट् सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के अलावा जर्मनी भी शामिल था.

खामेनेई का कहना है, “अगर हम उनके दबाव के आगे झुक गए और अमेरिकी लोगों से बात की, तो वे यह दिखाएंगे कि अधिकतम दबाव बनाने की उनकी नीति कामयाब हो गई. उन्हें यह पता होना चाहिए कि इस नीति का हमारे लिए कोई मोल नहीं है.”

बीते हफ्ते के आखिर में सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर ड्रोन के हमलों के बाद अमेरिका और ईरान के संबंधों में जारी तनाव बढ़ गया है. इस हमले की वजह से तेल की कीमतें बढ़ गई हैं और मध्यपूर्व में टकराव की आशंका पैदा हो गई है. सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि ऐसा लगता है कि ईरान इन हमलों के पीछे है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह जंग नहीं छेड़ेंगे. उधर ईरान ने इन हमलों में शामिल होने से इनकार किया है.

सऊदी अरब का कहना है कि यह हमला ईरानी हथियारों से किया गया और वह इनका जवाब देने में सक्षम है. सऊदी अरब ने संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों से इस हमले की जांच में मदद मांगी है.

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