ईरान से निकट होने के दिखावे के पीछे ट्रम्प की चाल क्या है?

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अमरीका के राष्ट्रपति कोशिश कर रहे हैं कि ईरान के साथ एक नए परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करें और वह समझौता, पिछले समझौते में मामूली सा परिवर्तन करके तैयार किया जाए ताकि उनके राजनैतिक लक्ष्यों पर आंच न आए।

 

मशहूर अरबी समाचारपत्र रायुल यौम ने अपने संपादकीय में उन लक्ष्यों की समीक्षा की है जिन्हें हासिल करने के लिए अमरीका के राष्ट्रपति ईरान से क़रीब होने का ढोंग कर रहे हैं।

अमरीकी राष्ट्रपति का सबसे पहला लक्ष्य, ईरान पर अधिकतम दबाव डालना है ताकि ईरान, वर्तमान परमाणु समझौते के बजाए एक नए परमाणु समझौते के लिए तैयार हो जाए और इस तरह ट्रम्प ईरान के साथ एक नए और अहम समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले के रूप में अपना नाम दर्जा करा सकें।
दूसरा लक्ष्य नए समझौते में अमरीका के आर्थिक व व्यापारिक हितों को प्राथमिकता देना है क्योंकि ट्रम्प का मानना है कि वह मुख्य पक्ष जो इस समझौते की रक्षा की गैरंटी दे सकता है, अमरीका है।

तीसर लक्ष्य आर्थिक व राजनैतिक मैदानों में अमरीका की इच्छाएं पूरी करने के लिए क्षेत्रीय अरब सरकारों पर दबाव डालना है। आर्थिक मैदान में अमरीकी सरकार कोशिश कर रही है कि इन सरकारों को ईरान से डरा कर यह दर्शाए कि तेहरान के साथ वाॅशिंग्टन का समझौता इन अरब सरकारों के लिए हानिकारक होगा, इस लिए उन्हें अमरीका की अधिक सेवा करनी चाहिए। राजनैतिक मैदान में भी ये अरब सरकारें, वाॅशिंग्टन की क्षेत्रीय नीतियों का साथ देने पर मजबूर हो जाएंगे, ख़ास करके डील आफ़ सेंचुरी के बारे में।

अमरीकी राष्ट्रपति का चौथा लक्ष्य, क्षेत्र में चीन के व्यापारिक व आर्थिक प्रभाव को बढ़ने से रोकना है और इसके लिए ईरान के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों को कड़ा करने और ईरान के साथ उसके सहयोग व आर्थिक गतिविधियों को रोकने का रास्ता अपनाया जा रहा है।

ईरान के ख़िलाफ़ आर्थिक आतंकवाद की नीति जारी रखने का पांचवां लक्ष्य, तेहरान को रूस से दूर करना है क्योंकि माॅस्को, क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मामलों में ईरान को ट्रम्प कार्ड के रूप में देखता है, चाहे वे आर्थिक मामले हों या राजनैतिक मामले। इसी तरह वह अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी अमरीका से मुक़ाबले के लिए भी ईरान की मदद ले रहा है।

parstoday.com

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