1060 नीली स्कूटी की जांच… RTO से ल‍िया डाटा; ऐसे कातिलों तक पहुंची पुलिस

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संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध आकाश कुलहरि ने घटना के राजफाश के लिए एसीपी गाजीपुर विकास जायसवाल की निगरानी में एक अलग टीम गठित की थी। एसीपी विकास जायसवाल ने सीसीटीवी कैमरे में कैद नीले रंग की (डेस्टनी) स्कूटी की फुटेज निकलवाई। इसके बाद आरटीओ से शहर में चल रही नीले रंग की स्कूटी का ब्योरा मांगा। पता चला कि शहर में 1060 डेस्टनी स्कूटी रजिस्टर्ड हैं।

र‍िटायर्ड आईएएस देवेंद्र नाथ दुबे के घर लूट और उनकी पत्नी मोहिनी की हत्या के गुनहगारों तक पहुंचने के लिए पुलिस को शहर में पंजीकृत कुल 1060 नीले रंग की स्कूटी की जांच करनी पड़ी। पुलिस की मेहनत आखिरकार रंग लाई और पुलिस उस नीली स्कूटी तक पहुंच गई, जिस पर सवार होकर ड्राइवर अखिलेश और रंजीत लूट और हत्या कर भागे थे।

संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध आकाश कुलहरि ने घटना के राजफाश के लिए एसीपी गाजीपुर विकास जायसवाल की निगरानी में एक अलग टीम गठित की थी। एसीपी विकास जायसवाल ने सीसीटीवी कैमरे में कैद नीले रंग की (डेस्टनी) स्कूटी की फुटेज निकलवाई। इसके बाद आरटीओ से शहर में चल रही नीले रंग की स्कूटी का ब्योरा मांगा। पता चला कि शहर में 1060 डेस्टनी स्कूटी रजिस्टर्ड हैं। सभी स्कूटी की स्क्रीनिंग की गई। मालिकों के नाम पते की जानकारी की गई। आईटीएमएस (इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) और ई-चालान एप से ब्योरा लिया गया।

सभी 1060 स्‍कूट‍ियों का देखा गया मूवमेंट   

एसीपी के मुताबिक, आईटीएमएस से सभी 1060 स्कूटी का मूवमेंट देखा गया। स्कूटी के नीले रंग और माडल के अनुसार इंदिरानगर सेक्टर 20 तक जाने वाली स्कूटी का मूवमेंट आईटीएमएस के कैमरों से चेक किया गया। उसमें संदिग्ध स्कूटी शनिवार सुबह छह बजे से पौने सात बजे जाती दिखी।

इसके बाद वह 45 मिनट बाद वापस पालीटेक्निक चौराहे से लोहिया पथ के रास्ते कैंट लालकुर्ती तक सीसीटीवी कैमरे में दिखाई दी। चूंकि बदमाशों ने वारदात के बाद स्कूटी की नंबर प्लेट मोड़ दी थी। स्कूटी का नंबर न मिलना भी पुलिस के सामने एक चुनौती थी। लालकुर्ती के पास मिली फुटेज में नीले रंग की स्कूटी पर पीछे बैठे व्यक्ति की पहचान रंजीत के रूप में हुई। आरटीओ के ब्योरे में एक स्कूटी रंजीत के नाम भी रजिस्टर्ड थी। इसके बाद रंजीत को पकड़ा गया। कड़ियां जुड़ती गईं और हत्याकांड का राजफाश हो गया।

क्राइम सीरियल देखकर मिटाए साक्ष्य, पानी से धुले ज्वैलरी बाक्स

पुलिस उपायुक्त उत्तरी अभिजीत आर शंकर ने बताया कि हत्यारोपित अखिलेश और रंजीत टीवी पर क्राइम सीरियल देखते थे। सीरियल को देखकर ही दोनों ने घटना के बाद साक्ष्य मिटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दोनों ने अपने फिंगर प्रिंट मिटाने के लिए गीले कपड़े से दरवाजे और अलमारी के कुंडे साफ किए। फर्श पर पोछा लगाया ताकि पैरों तक के निशान नहीं मिलें। अलमारी में रखे ज्वैलरी बाक्स को पानी से धुला।

मौत की पुष्टि के लिए चेहरे पर डाला पानी, पेचकस से गोदा सिर

अखिलेश और रंजीत ने मोहिनी का गला कसने के बाद उनकी मौत की पुष्टि के लिए एक मग पानी चेहरे पर डाला। इतना ही नहीं उनका मुंह और नाक बंद कर थोड़ी देर रोके रखा। इसके बाद पेचकस से सिर पर कई बार प्रहार कर गोद डाला। जब मोहिनी के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई तो सामान बैग में भरकर भाग निकले।

फुटेज वायरल होने के बाद कटवा दी थी दाढ़ी और मूंछें

घटना के बाद तीसरे दिन जब स्कूटी सवार की फुटेज प्रसारित हुई तो उसमें रंजीत की दाढ़ी और मूंछें बढ़ी हुई थीं। पहचान छिपाने के लिए अखिलेश ने रंजीत को 500 रुपए दिए और उससे दाढ़ी मूछें कटवा दी, जिससे पहचान न हो सके।

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