कुशीनगर एयरपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय उड़ान में फंसा पेंच, आईएलएस लगाने में हो रही देरी

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अवधनामा संवाददाता

छ: करोड़ की लागत से लगाई जा रही है आईएलएस

आईएलएस लग जाने से विमानों की लैंडिग व टेकआफ में होगी आसानी

कुशीनगर । कुशीनगर एयरपोर्ट से मुंबई, कोलकाता सहित अंतरराष्ट्रीय उड़ान शुरू होने में रूस की कंपनी की वजह से पेंच फंसा है। दरअसल कंपनी एयरपोर्ट पर निर्बाध और प्रतिकूल मौसम में 24 घंटे विमानों की लैंडिंग व टेक आफ के लिए छह करोड़ की लागत वाले इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आइएलएस) के इंस्टालेशन में देरी कर रही है। यह कार्य अगस्त तक पूरा होना था। मगर अक्टूबर बीतने को है और आइएलएस एक्यूपमेंट के संबंध में कोई कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं है।

एयरपोर्ट अधिकारियों का कहना है कि मुख्यालय ही स्थिति स्पष्ट कर पाएगा। इस एयरपोर्ट से सिर्फ कुशीनगर-दिल्ली की उड़ान हो रही है। विमान की लैंडिंग व टेक आफ जीपीएस के सहारे हो रहा है। एटीसी को पायलट से कम्युनिकेशन के लिए गोरखपुर एयरपोर्ट के एटीसी के सिस्टम से कनेक्ट करना पड़ता है। आइएलएस के न लगने से स्पाइस जेट कंपनी दो साल बाद भी कोलकाता व मुंबई की उड़ान शुरू नहीं कर पाई। अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनियां भी उड़ान में रुचि नहीं दिखा रहीं हैं। कारण की एयरपोर्ट अभी उड़ान के अंतरराष्ट्रीय मानक पूरा नहीं कर पा रहा है। ऐसे में रूसी कंपनी की लेट लतीफी से पश्चिम बिहार व पूर्वी उप्र के हजारों लोग विमान सेवा से वंचित हैं। लोगों को दूर के एयरपोर्ट की सेवाएं लेनी पड़ रहीं हैं।

आठ माह पूर्व हुई थी निविदा

इस एयरपोर्ट से चार्टर विमान सेवा शुरू करने के लिए गत वर्ष 27 मार्च को वियतनाम की एक कंपनी ने ट्रायल किया। इसकी लैंडिंग जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) के सहारे हुई। पर्यटकों से भरा चार्टर विमान फाल्कन उतरा। लेकिन पायलट को तकनीकी दिक्कत हुई। उसके बाद चार्टर विमान से ही 8 अगस्त को 75, 2 सितंबर को 109 और 18 सितंबर को 143, सात अक्टूबर को 360 वियतनामी सैलानियों का दल कुशीनगर आया पर इन सभी विमानों की लैंडिंग व टेक आफ वाराणसी और बोधगया एयरपोर्ट पर हुई। ऐसा इसलिए हुआ कि कुशीनगर एयरपोर्ट पर विमानों की लैंडिंग और टेक आफ के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक की आइएलइस (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) नहीं लगा था।

एयरपोर्ट पर आइएलएस लगाने की प्रक्रिया चल रही है टेंडर हो चुका है। मुख्यालय से आर्डर भी दिया गया है। चूंकि दो देशों के बीच उपकरण लेने-देने की एक जटिल प्रक्रिया होती है। इसी में समय लग रहा है। कब तक सिस्टम लगेगा, इसका सटीक समय नहीं बताया जा सकता।

राजेंद्र प्रसाद लंका, एयरपोर्ट निदेशक कुशीनगर

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