बेलगाम कारागार प्रशासन के भ्रष्टाचार का शिकार निरीह बन्दी देशराज, न्याय के लिए दर दर भटकना बना नसीब

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अवधनामा संवाददाता

बाराबंकी। अपराधियों को सुधारने के लिए बनाई गई तमाम जेलों में स्वयं ही अपराध कहीं रिश्वत तो कहीं कुछ और नाजायज करते कारागार के अधिकारी कर्मचारी अक्सर सुर्खियों में दिखाई देते हैं। फिर चाहे वह अतीक जैसे गैंगस्टर का मामला हो, बबलू श्रीवास्तव जैसे माफिया का हो या फिर गरीबी के चक्कर में फंसा देशराज वर्मा ही क्यों ना हो, जिसके पास वकील को देने के लिए धन तो छोड़िए पैरों में पहनने के लिए चप्पल तक भी मुअस्सर नहीं है।
अधिवक्ता द्वारा दी गई जानकारी को सही माना जाए तो 1 माह पूर्व हत्या के मामले में 120 बी धारा अंतर्गत सजा काट रहे देश राज वर्मा पुत्र महादेव कि 70 वर्षीय माता को छोड़कर दोनों भाई जेल में ही है। जिनके कमाने का कोई जरिया अब शेष भी नहीं है। इतने पैसे भी नहीं उपलब्ध हैं कि वह अपनी बात न्यायालय तक पहुंचा पाए। इन्हीं कारणों से पेशी दौरान नंगे पैर देशराज वर्मा को देखकर तमाम अधिवक्ताओं के साथ हाईकोर्ट अधिवक्ता जेपी यादव को बंदी पर दया आ गई और उन्होंने उसकी मदद करने के विषय में अपने अन्य अधिवक्ता साथियों से बात की जिसके बाद कम से कम चप्पल उसे सुलभ कराने के लिए उन्होंने जब प्रयास किया तो अधिवक्ता के बताए अनुसार बाराबंकी कारागार में ड्यूटी कर रहे हवलदार मधुकर मिश्रा ने चप्पल पहुंचाने के लिए 100 रुपए रिश्वत मांगी।
जब अधिवक्ता ने नियमों की जनकारी पूछी तो हवलदार बिगड़ गया ब बेइज्जती पर उतारू हो गया। यही नहीं अधिवक्ता की मानें तो इस दौरान 40 मिनट तक हवलदार मधुकर मिश्रा अपने ड्यूटी छोड़कर कहीं नदारद भी रहा था। जिसमें उन्हें इंतजार करना पड़ा हाई कोर्ट अधिवक्ता होने के नाते इस तरह खुलेआम एक हवलदार द्वारा रिश्वत मांगना जेपी यादव को इतना खाल गया कि उन्होंने मामले में तत्कालीन जेल अधीक्षक से मोबाइल फोन द्वारा बात कर इसकी शिकायत भी की जिस पर जेल अधीक्षक ने उन्हें जानकारी देते हुए बताया की जांच करके उन्होंने हवलदार मधुकर मिश्रा को वहां से हटाकर दूसरी जगह तैनात कर दिया है।
इसी दरमियान अधिवक्ता द्वारा जेल महानिदेशक के यहां मामले को लेकर भी शिकायत की गई थी जिसकी जानकारी होने पर हवलदार मधुकर मिश्रा अपने अन्य साथी जो प्रमोट होकर डिप्टी जेलर है श्यामा चरण सिंह को लेकर बंदी के बैरक में इसी माह 12 जून को पहुंचे और अधिवक्ता द्वारा शिकायत वापस लेने के के लिए कहने का दबाव बनाने लगे। जिसमें बंदी द्वारा असमर्थता जताने पर दोनों ने लाठी-डंडों से सारे नियम कानूनों को दरकिनार करते हुए उसे बुरी तरह मारा-पीटा। जिसकी जानकारी होने पर अधिवक्ता वहां अन्य साथी का आवाक रह गए और उन्होंने इसकी पुनः शिकायत अधीक्षक से करते हुए डिप्टी जेलर व हवलदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तहरीर मंगलवार को कोतवाली नगर पुलिस व पुलिस अधीक्षक को दी। अधिवक्ता के बताए अनुसार योगी जी के राम राज्य में कारागार में इतनी अंधेर गर्दी देख बुरी तरह हैरान है।उन्होंने बताया कि अगर पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज नहीं किया तो वे 156/3 धारा के अंतर्गत न्यायालय की शरण में जाते हुए मुकदमा दर्ज कराएंगे। अधिवक्ता का कहना है।
सरकार जागरूकता के नाम पर तमाम पैसा खर्चा कर रही है लेकिन उसके विपरीत जिने वाकई विधिक मदद की जरूरत है और निर्दोष सजा काटने को मजबूर है।उनकी मदद के लिए किसी किसी करप्ट सिस्टम के चलते लोग सामने नहीं आते अधिवक्ता भी कतराते हैं कि एक तो फ्री वह केस लड़ेंगे दूसरा उन्हें करप्ट सिस्टम को भी अपनी जेब से भी घूस देनी पड़ेगी। ऐसे में कोई किसी की मदद कैसे कर सकता है या एक सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है जो मोदी जी और योगी जी के रामराज्य पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है। सब पर कार्रवाई रिश्वत व भ्रष्टाचार पर कब होगी कार्रवाई।

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