Thursday, May 15, 2025
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समस्याओं से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक को कराया अवगत

अवधनामा संवाददाता

प्रशासन के जरिए आशा कार्यकत्री कर्मचारी महासंघ ने भेजा ज्ञापन

ललितपुर। समस्याओं के निस्तारण को लेकर प्रदेशीय आह्वान पर शुक्रवार को आशा कार्यकत्री कर्मचारी महासंघ की जिलाध्यक्ष आशा यादव के नेतृत्व में नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक को एक ज्ञापन जिला प्रशासन के जरिए भेजा गया। ज्ञापन में बताया कि प्रदेश भर में आशा कर्मियों का 6-6 माह तक संपूर्ण मानदेय बकाया रहता है। बहुत अल्प प्रोत्साहन राशि में रात दिन श्रम करने वाली आशा व आशा संगिनी भुखमरी की शिकार होती रहती है, किंतु उस अल्प अपमानजनक कथित मानदेय के भुगतान की चिता न एन एच एम को रहती है और न सरकार को सरकार द्वारा घोषित आशा का 67.00+ अन्य कार्यों की प्रोत्साहन राशि व संगिनी बहनों का 1000 अन्य सेवाओं की प्रोत्साहन राशिया अभी तक सरकारी जुमला ही है। क्योंकि आज तक कभी यदा कदा कुछ मिलता है जिससे पता ही चलता कि कि क्या दिया जा रहा है और क्या हेर फेर हो रहा है। दोनो हाथो से लूट की छूट जो मिली है। साल भर में न के बराबर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि के बाउचर जमा और अग्रसारित करने में की जाने वाली उगाही से ही लगभग 5 अरब की घूस खोरी हो जाती है जो भय दिखाकर की जाती है।। इसलिए इसे लूट की संज्ञा देना ही उचित है भ्रष्टाचार आम शिष्टाचार है एन एच एम व सरकार किसी को सुनना नहीं है क्योंकि देश में हमारे श्रम की चोरी आजाद भारत के इतिहास की सबसे बड़ी चोरी है जिसे सरकार स्कीम के नाम से खुले आम कर रही है और उसके लिए यह दबंगई के नए दरोगा पाले गए हैं और उनकी लूट को उनके हर दुष्कृत्य को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। वर्षों से दस्तक, कुष्ठ रोग, टीबी, खसरा रुबेला, फाइलेरिया आयुष्मान कार्ड बनाने जैसे कार्यों में अलग से समकालीन कार्यों में किए गए नियोजनों की कोई प्रोत्साहन राशि आज तक भुगतान नहीं की गई यही नहीं राज्य सरकार द्वारा जुलाई 2019 में घोषित रू750 किसकी जेब में चले गए? प्रदेश भर में विगत 5 वर्षों में आशा कर्मियों के कार्यों के प्रतिफल के डेढ़ लाख करोड़ से अधिक रुपए कौन डकार गया। कोविड प्रोत्साहन राशि के राज्याश 12 हजार रुपये में पूरी बेहयाई से 2000-4000 रू पूरे प्रदेश में बीसीपीएम प्रभारी चिकित्साधिकारियों ने बेखौफ लूट लिए। आश्चर्य है कि एनएचएम (स्टेट) की निदेशक, स्वास्थ्य सचिव स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री और लगभग हर जिले के जिलाधिकारियों से इसकी शिकायत और रोक लगाए जाने की मांग जब भूमिका बाधी जा रही थी तभी से शिकायत की जाने लगी थी। किंतु 55 से 70 करोड़ की लूट बिना सरकारी संरक्षण के सम्भव नही थी। उन्होंने इसी प्रकार की अन्य समस्याओं से भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक को अवगत कराया। ज्ञापन देते समय जिलाध्यक्ष आशा यादव, नीतू रानी, सुमन कौंते, रामादेवी, अफरोज बेगम, कमला, दीप्ती, राजकुमारी, आरती, सुनीता, शंकरवती, उर्मिला, नीलम, रामगनेशी, सुशीला, जयन्ती, मीना, लीला, रेखादेवी, ममता, साधना राय, नारायनी, पार्वती, मीरा, अंजू, मीना के अलावा अनेकों कार्यकत्रियां मौजूद रहीं।

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