बंदियों को दी गयी पॉक्सो एक्ट की जानकारी

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अवधनामा संवाददाता

कारागार में लगाया गया विधिक साक्षरता शिविर

ललितपुर। जनपद न्यायाधीश/ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष चन्द्रोदय कुमार के निर्देशानुसार एडीजे/सचिव कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में जिला कारागार में निरूद्ध बंदियों को पॉक्सो एक्ट पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए एडीजे/सचिव कुलदीप सिंह, कारागार अधीक्षक लाल रत्नाकर सिंह आदि वक्ताओं द्वारा बताया गया कि पॉक्सो एक्ट को हिन्दी में बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम भी कहा जाता है। इस कानून को 2012 में लाया गया था। इसके लाने की सबसे बड़ी वजह यही थी कि इससे नाबालिग बच्चियों को यौन उत्पीडऩ के मामलों में संरक्षण दिया जा सके। हालांकि ये कानून ऐसे लड़के और लड़कियों दोनों पर लागू होता है, जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है। वहीं पॉक्सो एक्स के तहत दोषी पाए जाने पर कड़ी सजाओं का भी प्रावधान किया गया है। पहले इसमें मौत की सजा का प्रावधान नहीं किया गया था, लेकिन बाद में इस कानून में उम्रकैद जैसी सजा को भी जोड़ दिया गया। पॉक्सो एक्ट के तहत सिर्फ पुरुषों को ही सजा नहीं दी जाती बल्कि अगर किसी महिला द्वारा भी यौन अपराधों का कृत्य किया गया है तो दोषी पाए जाने पर महिला को भी उतनी ही सजा सुनाई जाती है, जितनी कि किसी पुरुष को। इसके अलावा पीडि़त भी सिर्फ कोई बच्ची नहीं बल्कि ये कोई बच्चा भी हो सकता है। नाबालिग बच्चों के साथ भी यौन उत्पीडऩ के कई मामले सामने आते रहते हैं। ऐसे में इस कानून के तहत दोष करने पर सभी के लिए समान सजा का प्रावधान है, जबकि पीडि़त होने पर भी बच्चा या बच्ची के लिए न्याय का एक ही प्रावधान किया गया है। पाक्सो एक्ट के बारे में बंदियों को विस्तृत रूप से जानकारी उपलब्ध करायी गयी। अंत में कारापाल जीवन सिंह ने सभी का आभार जताया।

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