महंगाई की मार जनता को दिशाहीन व निरीह बना दी है।-रमेन्द्र त्रिपाठी सेवानिवृत आईएएस

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अवधनामा संवाददाता

 राजेश मिश्रा
देवरिया (Devariya) राजनीति परिक्षेत्र में लोहिया जी के विवेचक विचारों से आच्छादित अवकाश प्राप्त वरिष्ठ आई ए एस  रमेन्द्र त्रिपाठी जी ने देश की बर्तमान स्थिति में सरकार को जनहित व देश हित में तत्काल कुछ सकारात्मक निर्णय लेने का मशवरा दिया है। देश की बर्तमाम आर्थिक स्थिति पर उनका दृष्टिकोण जानने पर उन्होंने कहा कि
जी एस टी कॉउंसिल की बैठक में वैक्सीन को पूर्णतः टैक्स मुक्त किया जाय और रोजमर्रा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं पर लगाया जाने वाला टैक्स ख़त्म किया जाय , घटाया जाय अथवा स्थगित किया जाय ! महंगाई 10.5 परसेन्ट है , इसकी मार समाज का  हर वर्ग झेल रहा , मध्यम वर्ग और 23 करोड़ ग़रीबी रेखा के नीचे रहने के लिए अभिशप्त आम जन की पीड़ा को शब्दों में अभिब्यक्त करना मुमकिन नहीं है , पेट्रोल , डीज़ल की क़ीमतों में बेतहाशा वृद्धि ने तो लोगों की कमर ही तोड़ दिया है , पेट्रोलियम पदार्थों को जी एस टी के दायरे में लाना बहुत ज़रूरी है , इससे राज्य सरकारों द्वारा लगाए जा रहे अंधाधुंध वैट की भयंकर मार से जनता को राहत मिलेगी , केन्द्र सरकार भी लगभग 35 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी को कम करे तभी लोग सांस ले सकेंगे , कोविड ने वैसे ही लोगों का सांस लेना हराम कर रखा है ऊपर से यह जानलेवा महंगाई , पूरे देश की जनता दर्द से कराह रही है , उनकी तकलीफ़ को बयान करने में विश्व की कोई भाषा सक्षम नहीं है , शब्द कुंठित हैं , विचित्र निःसहायता का अनुभव हो रहा है , आप सभी लोककल्याणकारी सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं , प्रजा के सुख दुःख में सहभागी होना आप का संवैधानिक कर्तब्य है , यह परीक्षा की घड़ी है , अपनी संवेदना का , अपने अन्तःकरण के आयतन का , मानवीय करुणा का विस्तार करें , लोगों की अकथ तकलीफ़ को समझें और जनता के पार्श्व में आश्वति के एहसास के साथ खड़े हों , देश के लोगों की क्रय क्षमता अभूतपूर्व प्रभावित हुई है , क्षतिपूर्ति के रूप में उन्हें आर्थिक सहयोग दें , इससे आप की अर्थव्यवस्था भी सुधरेगी , बाज़ार भी मज़बूत होगा , जी डी पी भी बढ़ेगी , इन्फ्लेशन बढ़े तो बढ़े , नोट भी छापना पड़े तो छापें , यह महाविपत्ति का काल है , आउट ऑफ़ बॉक्स फ़ैसले तो लेने ही पड़ेंगे , पूरा देश आप की तरफ़ देख रहा है , आप को यह निर्णय लेना ही होगा कि अंततः आप किसके साथ खड़े हैं , इतिहास में ऐसी अनिवार्यताओं के अवसर कम ही आते हैं ….फ़ैसला आप के हाथ है !
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