अंग्रेजी भारत के तरक्की का द्वार
कापसहेड़ा,नई दिल्ली।ऑरवेल इंग्लिश इंस्टीट्यूट एवम इंटेलेक्चुअल सोसाइटी के तत्वाधान में आयोजित एक सेमिनार में संस्था के संस्थापक और शिक्षाविद् दीपक सिन्हा ने ‘भारतीय संस्कृति के प्रसार में अंग्रेजी की भूमिका’ विषय पर बोलते हुए कहा कि भारत अंग्रेजी शिक्षा और भारतीय मूल्यों को अपनाकर ही तरक्की के नए रास्ते पर चल सकता है क्योंकि बदलते हुए वक्त में अंग्रेजी केवल अंग्रेजों की ही भाषा नहीं रह गई है भारतीय संस्कृति को यूरोप अमेरिका सहित दुनिया के अन्य देशों में विस्तार देने के लिए अंग्रेजी ने केंद्रीय भूमिका निभाया है।आज दुनिया के भिन्न भिन्न देशों में भारतीय संस्कृति और परंपरा आकर्षण का एक केंद्र बिंदु बना हुआ है और इसके पीछे अंग्रेजी का बहुत बड़ा हाथ है।वर्षों से हमारे देशवासी भारतीय ज्ञान-विज्ञान,कला,अध्यात्म और योग विद्या को पूरी दुनिया में अंग्रेजी भाषा के माध्यम से प्रचारित करने में लगे हुए हैं और आज पूरा विश्व भारत के तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहा है।
श्री सिन्हा ने अपने भाषण में अंग्रेजी के भिन्न भिन्न पहलुओं का जिक्र करते हुए जोर देकर कहा कि अंग्रेजी का वैश्विक स्वरूप भारत के लिए एक नया मौका लाया है क्योंकि भारत में अंग्रेजी बोलने वालों की जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है और विश्व के नक्शे पर भारत हर तरीके से समृद्ध और सशक्त होकर अग्रसर हो रहा है।इसलिए अब हम भारतीयों को इस नाकारात्मकता से निकलने की जरूरत है कि अंग्रेजी एक विदेशी भाषा है और अंग्रेजों ने हमें सालों तक गुलाम बनाकर रखा था।हमें अब यह समझना चाहिए कि वैश्विक परिस्थितियां और चुनौतियों बदल चुकी हैं और इसी अंग्रेजी ने भारतीयों को सात समुंदर पार अपने काबिलियत और मेहनत को साबित करने का मौका भी दिया है।ऋषि सुनक और कमला हैरिश इसके बेहतरीन उदाहरण हैं।यह इस देश के लिए फक्र की बात है की ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और अमेरिका के उपराष्ट्रपति के मूल में भारतीय रक्त, संस्कार और मूल्यों का निवास है। इसलिए अंग्रेजी शिक्षा और भारतीय संस्कारों को अपनाकर भारत अवश्य विश्व गुरु बन सकता है।कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं में आलोक शुक्ला, नूरुद्दीन,राजबीर,प्रियांशु,अनुराग पाण्डेय,आदित्य भारद्वाज आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।