Wednesday, September 17, 2025
spot_img
HomeNationalविक्टोरिया पार्क जेल में बंद किए थे भारतीय सैनिक

विक्टोरिया पार्क जेल में बंद किए थे भारतीय सैनिक

मेरठ में 1857 की क्रांति का सबसे महत्वपूर्ण स्थल विक्टोरिया पार्क है। यहां पर अंग्रेजों के समय जेल होती थी और उसमें अंग्रेजों ने विद्रोह करने वाले भारतीय सैनिकों को बंद किया था। दस मई को इस जेल पर ही हमला करके भारतीय सैनिकों को छुड़ाया गया था और अंग्रेजों को मारने के बाद सैनिकों ने दिल्ली की ओर कूच किया था।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. केके शर्मा के अनुसार, दस मई 1857 की क्रांति एक सुनियोजित स्वतंत्रता संग्राम था। यह तय समय से पहले हो गया था। मेरठ की क्रांतिधरा में इस स्वतंत्रता संग्राम के अनेक स्थल आज भी मौजूद है। मौजूदा विक्टोरिया पार्क में अंग्रेजों के समय में जेल थी। हालांकि आज यहां पर भामाशाह क्रिकेट ग्राउंड, क्रिकेट एकेडमी, बैडमिंटन एकेडमी, प्रोफेसर्स क्वार्टर्स आदि बन गया है। इस जेल में ही अंग्रेजों ने चर्बी लगे कारतूस चलाने से इनकार करने वाले 85 भारतीय सैनिकों को बंद किया था। इन सैनिकों को दस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद अन्य भारतीय सैनिकों ने विद्रोह करके विक्टोरिया पार्क जेल पर हमला किया था। जेल में बंद भारतीय सैनिकों की बेड़ियां काटकर आजाद कराया था। आजाद होते ही इन सैनिकों ने बंदूकें उठा ली और मेरठ में अंग्रेजों को मार गिराया।

मेरठ से दिल्ली के लिए किया था कूच

मेरठ में क्रांतिकारियों ने अपना झंड़ा फहराने के बाद दिल्ली के लिए कूच कर दिया। इसके बाद दिल्ली के लालकिले पर अपना परचम फहरा दिया। मेरठ से उठी क्रांति की यह ज्वाला देखते ही देखते पूरे देश में फैल गई और अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीयों ने हथियार उठा लिये।

विक्टाेरिया पार्क में अंकित है सैनिकाें के नाम

जिन 85 क्रांतिकारियों ने भारत को आजाद कराने में प्रथम भूमिका निभाई थी, उन आजादी के मतवालों के नाम विक्टोरिया पार्क की जेल के स्थान पर बने स्मारक पर अंकित है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उन सभी अमर वीर क्रांतिकारियों को यहां पहुंच कर नमन कर चुके हैं।

क्रांति का गवाह है काली पलटन मंदिर

मेरठ कैंट स्थित सिद्ध औघड़नाथ महादेव मंदिर को अंग्रेजों के समय काली पलटन कहा जाता था। इस मंदिर में भारतीय सैनिकों की गहरी आस्था और इसी कारण इस मंदिर को काली पलटन कहा जाने लगा। 1857 की क्रांति के समय इस मंदिर में ही बैठकर क्रांतिकारी गुप्ता मंत्रणा करते थे। आज भी शिवरात्रि और महाशिवरात्रि को लाखों कांवड़िये इस मंदिर में जलाभिषेक करते हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular