भारतीय कर्मचारी का इनकार! लंदन में 5 दिन ऑफिस जाने से क्यों किया मना?

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लंदन में रहने वाली 25 साल की भारतीय महिला साफ कह दिया कि वह हफ्ते में 5 तो छोड़ो 4 दिन भी ऑफिस नहीं जाएंगी। उनका कहना है कि लंदन की महंगी लाइफस्टाइल में पहले ही गुजारा मुश्किल।विनायकिया ने कैरियर में उन्नति के सीमित अवसरों पर भी अपनी निराशा व्यक्त की और कहा कि टॉप पदों पर अक्सर ऐसे व्यक्ति हैं जिनके रिटायर होने के कोई संकेत नहीं दिखते।

लंदन में रहने वाली 25 साल की भारतीय महिला तरुणा विनायकिया ने ऑफिस से काम करने को लेकर एक पोस्ट की है। 25 साल की महिला ने इस बात पर जोर दिया कि वह लंदन के महंगे सफर पर अपनी पूरी आय खर्च नहीं करेगी।

लिंक्डइन पर एक वायरल पोस्ट में उन्होंने कार्यालय लौटने के आदेशों, बढ़ते खर्च और जेन-जेड पेशेवरों को प्रभावित करने वाले स्थिर वेतन के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, मैं ऑफिस में 5 या 4 दिन काम नहीं करूंगी।

मेरी अच्छी सैलरी है लेकिन…

विनायकिया ने कैरियर में उन्नति के सीमित अवसरों पर भी अपनी निराशा व्यक्त की और कहा कि टॉप पदों पर अक्सर ऐसे व्यक्ति होते हैं, जिनके रिटायर होने के कोई संकेत नहीं दिखते। उन्होंने कहा, उनकी अच्छी खासी तनख्वाह वाली नौकरी के बावजूद, वह हर महीने गुजारा करने के लिए संघर्ष करती है।

तरुणा विनायकिया ने कहा,

“मैं 25 साल की हूं। अच्छे करियर में हूं, लंदन में रहती हूं और फिर भी हर महीने अपने बिलों का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रही हूं। शायद मेरे पास कभी घर नहीं होगा। कॉर्पोरेट की सीढ़ी चढ़ना? यह कोई सपना नहीं है, जब टॉप पर ऐसे लोग हैं जो रिटायर होने तक अपनी जगह नहीं बना पाएंगे और किस लिए?

Gen Z को लेकर कही ये बात

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि जेन जेड कर्मचारियों को जेन एक्स और पुराने मिलेनियल्स की तुलना में वेतन और लाभ असमानताओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कर्मचारियों द्वारा अपनी कर-पश्चात आय का एक बड़ा हिस्सा आवागमन लागतों पर खर्च करने की प्रथा की भी आलोचना की। बता दें कि Gen Z उन लोगों को कहा जाता है, जो 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए हैं। यह पीढ़ी इंटरनेट, सोशल मीडिया, और डिजिटल टेक्नोलॉजी के साथ बड़े हुए हैं।

फ्रीलांसिंग को लेकर दिया सुझाव

तरुणा विनायकिया ने अपने करियर और काम पर नियंत्रण पाने के लिए फ्रीलांसिंग की ओर रुख किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि काम का भविष्य पारंपरिक कॉर्पोरेट संरचनाओं में काम करने के बजाय व्यक्तिगत करियर बनाने में निहित हो सकता है।

विनायकिया ने अपने लेख में लिखा, ‘सौभाग्य से मैंने फ्रीलांसिंग की ओर रुख किया और हालांकि अभी भी शुरुआती दिन हैं’

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