भारतीय राजनयिक मिशनो को निशाना

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एस. एन. वर्मा

अचानक खालिस्तानियों की सुबुगाहट बढ़ गई है। भारतीय विदेशी मिशनों के सामने उपद्रव, राजनयिकों को धमकियां पंजाब में कुछ गर्मी का इजाफा बता रही है खालिस्तानी समर्थकों को उनके अनुसार कुछ खुराक मिल गयी है। इस साल की शुरूआत में आस्टेªलिया में अलगाववादियों ने भारतीयों को निशाना बनाया था। अभी पंजाब के बाद अमेरिका आस्टेªलिया, इंग्लैण्ड, कनाडा और कुछ अन्य मुल्कों में भी खालिस्तान समर्थकों ने कुछ उत्पाद मचाया है। इसमें अलगाववादी अमृतपाल और उसके समर्थकों के खिलाफ की गई कार्यवाई ने इनकी गतिविधियों को बढ़ा दिया है। अमृतपाल जो धार्मिक संगठन बनाया था उसमें अलगावाद ऐसी बात नहीं थी पर बाद में एकाएक खालिस्तान समर्थक अलगाववादी बन बैठ और उनका तथाकथित नेता बन गया है। इसी को लेकर इंग्लैण्ड, अमेरिका और कनाडा में भारतीय राजनयिक मिशनों को निशाना बनाने की कोशिश की गई। सारी कार्यवाइयां सुनियोजित खतरों की ओर इशारा करती है। दो जगह भारतीय पत्रकारों को भी हमले से नहीं बक्शा गया।
खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियों में आई तेजी अब इसे गम्भीरता से लेने की सिफारिश करती है। आस्टेªलिया के बाद लन्दन स्थिति भातीय मिशन और सेन फ्रान्सिस के स्थित भारतीय वाणिज्यिक दूतावाद के बाहर खालिस्तानी समर्थक द्वारा तोड़फोड़ की कोशिश की गई। भारतीय दूतावास के सामने हिंसा भड़काने की कोशिश की गई और राजदूत को उनकी और गैरमौजूदगी में धमकी दी गई। लोगो को दूतावास पर हमले के लिये भड़काया गया। अमेरिकी सीक्रेट सर्विस और स्थानीय पुलिस ने तत्परता दिखाते हुये स्थिति को बिगड़ने नहीं दिया बल्कि ठीक से संभाल लिया। पर कुछ बातें सरकारी व्यवस्था पर गम्भीर सवाल उठाती है कनाड़ा के ब्रिटिश कोलम्बिया प्रान्त के सरे में भारत के उच्चआयुक्तों का एक कार्यक्रम था। उसमें अलगाववादी ने बुरी तरह बाधा डाली यह तो वहां के सरकारी मशीनरी के नाकामी की इन्तहा है। उपद्रियों ने कार्यक्रम नही होने दिया सरकारी मशीनरी देखती रह गई।
विदेशों में अलगाववादियों के प्रति विद्रोह भी देखा जा रहा है। अलगाववादियों के विरोध में भारतीय अमेरिकियों ने तिरंगे के साथ रैली निकाली। पर अलगाववादियों के विरोध में भारतीय अमेरिकियों ने तिरंगे के साथ रैली निकाली। पर अलगाववादियों के हौसलों में सरकारों की निष्क्रियता और असफलता से ताकत मिलेगी। क्योकि सरे में उच्चआयुक्त में गड़बडी फैलाने की अन्देशा को लेकर इत्तला दी गयी थी इसके बावजूद वह भी पुलिस की मौजूदगी में अलगाववादियों का अपने कोशिशों में कामयाब हो जाना कई सवाल उठता है। अलगाववादियों का साहस इससे बढ़ता जायेगा। हमारी सरकार ने कनाड़ा को उच्चआयुक्त को बुलाकर अपनी नाराज़गी से अवगत कराया। दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई की मांग की।
सोचनीय यह है कि जिन देशों में आतंकी अलगाववादी अपने कार्यो के अन्जाम दे रहे है वे देश लोकतन्त्र के माफिक है वहां बेहतर कानून व्यवस्था है। भारत के सम्बन्ध भी इन देशों से अच्छे है भारत का वैश्विक पटल पर अच्छा रूतबा भी है और लोकप्रियता भी है। वैश्विक समस्याओं को हल करने में सात का सहयोग लिया जाता है और मांगा जाता है। पंजाब में सरकार को विशेष ध्यान देकर अलगाववाद की भावनाओं पर तुरन्त काबू पाना चाहिये। वहां की आप सरकार को विशेष रूप में सजग रहना पड़ेगा और इसे दबा देना चाहिये। अगर राज्य सरकार नाकाम हुई तो गवर्नर रूल थोप दिया जायेगा।

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