Wednesday, March 5, 2025
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एआई और मशीन लर्निंग में भारत विश्व का नेतृत्व करेगा- ट्राई चेयरमैन

नई दिल्ली। भारत में पिछले कुछ समय में आईटी प्रतिभाएं तेजी से बढ़ी हैं। वहीं देश में स्टार्टअप संस्कृति का भी विकास हुआ है। इसको ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि भारत आईटी और मशीन लर्निंग में आने वाले समय में विश्व का प्रतिनिधित्व कर सकता है। पी2सी के एक शोध के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 2030 तक विश्व अर्थव्यवस्था को 15.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ा सकता है। इसमें भारत की भी बड़ी हिस्सेदारी होगी।
ये जानकारी सोमवार को होटल ललित में आयोजित 17वें इंडिया डिजिटल समिट (आईडीएस 2023) में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष डॉ. पी डी वाघेला ने कही। इस मौके पर उन्होंने ऐलान करते हुए कहा कि डिजिटल साक्षरता, डिवाइस और कनेक्टिविटी ध्यान में रखते हुए जल्द ही एक परामर्श पत्र लाया जाएगा। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) की की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में वाघेला ने कहा कि सरकार 5जी और 6जी टेलिकॉम सेवाओं के विकास एवं इसके फायदे आम लोगों तक पहुंचाने के लिए कई तरह के शोध और नए प्रयोगों पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि आगे का रास्ता रोमांचक चुनौतियों और अवसरों से भरा है और एक बात निश्चित है कि भारत का भविष्य नई तकनीकों को अपनाने, प्रौद्योगिकी व्यवधानों का जवाब देने और सही अवसरों को हासिल करने की हमारी क्षमता पर निर्भर है।
उन्होंने कहा कि सरकार पहले से ही स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को बढ़ावा दे रही है। 5 बिलियन से अधिक आईटी पेशेवरों के साथ, भारत पहले से ही दुनिया में सबसे बड़ा आईटी प्रतिभा वाला देश बन चुका है, और डिजिटल गवर्नेंस पर पूंजी लगाने वाले स्टार्टअप्स के साथ, मुझे यकीन है कि इंडिया 2047 एक ताकत होगी,।
डॉ. वाघेला ने कहा कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए पारदर्शिता के साथ इस क्षेत्र को विनियमित करने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि अमृत काल: डिजिटल इंडिया ञ्च 100 की थीम के तहत अगले 25 वर्षों में भारत की यात्रा के लिए आठ महत्वपूर्ण शासन मुद्दों पर फिर से जोर देने की आवश्यकता है। इनमें हमारे डिजिटल गवर्नेंस इंफ्र ास्ट्रक्चर को कैसे नया रूप दिया जाए, उत्पन्न होने वाली चुनौतियाँ और प्रौद्योगिकी व्यवधानों के कारण निवेश चक्र में कमी, उपयुक्त तकनीकों की पहचान, हमारे जनसांख्यिकीय लाभ, हमारे आईटी कौशल की ताकत को ध्यान में रखते हुए एआई पर और अधिक काम करना, डिजिटल उपकरणों के स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी को नीति निर्माण के मूल में रखना, सहयोगी दृष्टिकोण के माध्यम से संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण का व्यावहारिक कार्यान्वयन, स्थायी और न्यायसंगत तका पूरे समाज को ध्यान में रखते हुए नीतियों को बनाना, साइबर सुरक्षा को मजबूत करना, जीवंत गोपनीयता कानून लाना और नागरिकों को स्पैम और धोखाधड़ी से बचाना शामिल है।

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