एस.एन.वर्मा
भारत जी-20 का अध्यक्ष औनपचारिक रूप से बना। इसका अध्यक्ष बनना अपने आप में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह बताता है अन्तरराष्ट्रीय नेतृत्व ने भारत के नेतृत्व के कुशलता का लोहा माना है और समूह के देशो को विश्वास है भारत जो करेगा वह विश्व के कल्याण के लिये करेगा। इस समय ऐसी समावेशी नेतृत्व की जरूरत है। इस समय दो विपरीत महा शक्तियां अमेरिका और रूस दोनो भारत की, भारत के नेतृत्व की प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की तारीफ कर रहे है। नही तो दुनियां दो ब्लाकों में बटी हुई थी। हां कुछ देश तटस्थ भी रहे है जिसका नेतृत्व भारत के ही हाथ में रहा है। यह मोदी का नेतृत्व है जिन्होंने अन्य देशो के साथ जिन बैठको में शिरकत की वह अपनी छाप छोड़ी गतिरोध को तोड़ा सबमें सहमति बनाई, अपने स्वतन्त्र विश्व के लिये काल्याणकारी नितियांे पर अन्य देशो के नेताओं में सहमति बनाई। चाहे यूक्रेन युद्ध हो, 47 गैस उत्सर्जन का मसला मोदी ने सही दिशा निर्देशन देकर मतभेद और गतिरोध को दूर कराया। इन्हीं सब वजहा से जी-20 के देशों ने इस बार अध्यक्ष पद भारत को सौपा है।
भारत भी इस मौके को उपयोगी बनाने के लिये जुट गया है। इसमें भारत के ब्रैन्ड इन्डिया की चमक भी बढ़ाने की तैयारी हो जी-20 सम्मेलन अगले साल भारत में होगा। इस अवसर का फायदा लेते हुये सम्मेलन से पहले भारत पूरे विश्व को बै्रन्ड इन्डिया से रूबरू कराने के लिये विशद और भव्य योजना बनाने में मशगूल है। भारत एक दिसम्बर से जी-20 सम्मेलन मशगूल है। भारत के दिसम्बर से जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता लेने पहले सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने सम्मेलन को रोड़ मैप के बारे में बताया। चूकि यह सम्मेलन सालभर चलेगा। इसलिये पहले से रोड़ मैप बनाना जरूरी है। इस समय रूस-यूक्रेन युद्ध हर अन्तरराष्ट्रीय बैठक में आपस में तनाव पैदा कर देता है। तनाव को दूर कर सभी देशो को एक मत में लाने की कोशिश होगी।
भारत इस ग्लोबल इवेन्ट के अवसर पर अपने देश की विविधता और 75 साल के सफर और उपलब्धियॉ को विश्व के सामने प्रस्तुत करने का सही अवसर मान कर तैयारी कर रहा हैं। चूकि जी-20 दुनिया के 20 शक्तिशाली उभरते देशो का समूह है जो विश्वपटल पर महत्वपूर्णा भूमिका हर विषय और समस्या निराकरण में उठा सकता है। इसलिये सदस्य देशो का सहयोग इस दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। इसका मुख्य सम्मेलन भारत में अगले साल 9 और 10 सितम्बर को होगा।
इस समय जी-20 के सदस्य है भारत अमेरिका, रूस अर्जेन्टीना, आस्टेªलिया, ब्रजील, कनाड़ा, फ्रान्स, जर्मनी, इन्डोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेंक्सिकों, आऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, योरोपीय संघ, भारत इसमें शामिल होने के लिये बांग्लादेश, यूएई, मारिशस, अफ्रीका यूनियन, खान्डा, नाइजीरिया, ओमान को भी न्यौता भेजा है। जाहिर है पृथ्वी का कोई भी महत्वपूर्ण देश छूटा नही है। अतः जो फैसले होगे वे सार्वभौमिक असर डालेगे।
भारत एक दिसम्बर को औपचारिक रूप से अध्यक्षता हासिल करेगा। इस दिन भी कई आयोजन होगे। 100 स्मारको पर जी-20 लोगो के साथ रंगीन रोशनी जलाई जायेगी। हर जी सम्मेलन में एक बड़ी समस्या से निपटने का रास्ता खोजा जाता है। भारत भी ऐसा ही करेगा और रास्ता दिखायेगा।
मुख्य आयोजन से पहले देश में 20 शहरों में 200 बैठके होगी। इसमें बालीउड, सिविल सोसायटी से लेकर विपक्षी दलों को भी सहभागी बनाया जायेगा। बैठक में डिजिटल क्रान्ति और गवर्नेस पर फोकस रहेगा। रीन्ुयुएबल इनर्जी भी मुख्य मुद्दा रहेगा। पर्यावरण पर महत्वपूर्ण चर्चा होगी। नारी सशक्तिकरण के लिये महिलाओं के मुद्दे भी केन्द्र में रहेगे।
अन्य बैठकों से अलग यह बैठक किन मामलों में अलग होगी और क्या छाप छोड़ेगी, इन पर मोदी की कितनी छाप रहेगी। गतिरोध को दूर करने और सहमति बनाने में मोदी का रोल कितना चमकदार होगा। यह सब सम्मेलन के समाप्त होने के बाद ही पता चलेगा और तभी मोदी नेतृत्व का फिर से आकलन होगा। भारत अध्यक्षी और सम्मेलन को लेकर उत्साहित है। यह अवसर होगा विश्व की अगुवाई भारत के हाथ में लेने का।