भारत ने WTO यानी World Trade Organisation को बड़ी जानकारी दी है। इस जानकारी की माने तो भारत सरकार अमेरिका से प्रोडक्ट आयात पर रिटेलिएटरी टैरिफ लगाने जा रही है। इसे अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए गए टैरिफ पर भारत की ओर से पलटवार कहा जा रहा है। चलिए इस खबर के बारे में डिटेल में बात करते हैं।
लंबे समय से हेकड़ी दिखा रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारत ने भी आंख दिखा दी है। भारत ने WTO यानी World Trade Organisation को बताया है कि वह अमेरिका से आयात पर रिटेलिएटरी टैरिफ लगाने जा रहा है। यह कदम अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए गए टैरिफ के जवाब में उठाया जा रहा है।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक है। वहीं स्टील और एल्युमिनियम उत्पादनों के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर आता है। अमेरिका द्वारा लगाया गया टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने में प्रभावित कर सकता है।
डब्ल्यूटीओ के नोटिफिकेशन के मुताबिक, “अमेरिका का यह कदम भारत से अमेरिका को होने वाले 7.6 अरब डॉलर के निर्यात को प्रभावित करेगा और अमेरिकी सरकार को इससे 1.91 अरब डॉलर का राजस्व मिलेगा। भारत सरकार की ओर से संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पादित उत्पादों से समान शुल्क वसूला जाएगा। भारत अगले उचित कदमों के बारे में वस्तुओं के व्यापार के लिए परिषद और सुरक्षा समिति दोनों को सूचित करेगा।”
किस नियम के तहत भारत ने उठाया कदम?
भारत ने डब्ल्यूटीओ एग्रीमेंट के आर्टिकल 12.5 के तहत यह नोटिस दिया है। इस आर्टिकल में किसी देश को दूसरे देश के खिलाफ बिना बातचीत के जवाबी सेफगार्ड कदम उठाने का अधिकार मिला हुआ है।
भारत क्यों लगाने जा रहा Retaliatory Tariff?
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने बताया कि इस विवाद के केंद्र में स्टील, एल्युमिनियम और इनके उत्पादों पर 2018 में लगाया गया ‘सेफगार्ड टैरिफ’ है। तब ट्रंप प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा को आधार बताते हुए इसे लागू किया गया था। इसे कई बार रिन्यू भी किया गया। आखिरी बार इसे 10 फरवरी 2025 को रिन्यू किया गया, जिसके लागू होने की तारीख 12 मार्च 2025 थी।
भारत का तर्क है कि अमेरिका ने कभी इस फैसले को आधिकारिक रूप से सेफगार्ड उपाय के तहत नोटिफाई नहीं किया, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को आधार बनाया। यह डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन है। सबसे अहम बात यह है कि अमेरिका ने इस फैसले को लागू करने से पहले आर्टिकल 12.3 के तहत भारत के साथ जरूरी वार्ता भी नहीं की।
आगे क्या करेगा भारत?
अमेरिका के फैसले से भारत का जितना निर्यात प्रभावित होगा, अमेरिका से उतनी रकम के ही आयात पर भारत भी टैरिफ बढ़ाएगा। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अमेरिका के इस टैरिफ से भारत का लगभग 7.6 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा और अमेरिकी प्रशासन को 1.91 अरब डॉलर का अतिरिक्त आयात शुल्क मिलेगा। भारत इसी के बराबर अमेरिकी आयात पर जवाबी टैरिफ लगाएगा।
श्रीवास्तव ने बताया कि अगर दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत नहीं होती है या अमेरिका ने इस फैसले को वापस नहीं लिया, तो भारत का जवाबी टैरिफ नोटिफिकेशन की तारीख के 30 दिन बाद लागू हो जाएगा। वह तारीख 8 जून 2025 होगी।
भारत पहले भी कर चुका है ऐसी कार्रवाई
भारत में पहले भी इस नियम के तहत कदम उठा चुका है। जून 2019 में भारत ने 28 अमेरिकी प्रोडक्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी थी। इनमें बादाम से लेकर सेब और केमिकल शामिल थे। अमेरिका ने जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ़ प्रेफरेंस (GSP) की सूची से भारत को हटा दिया था और स्टील तथा एल्युमिनियम पर टैरिफ जारी रखने की घोषणा की थी। उसी के जवाब में भारत में यह कदम उठाया था।
भारत के उस जवाबी टैरिफ के कारण अमेरिका से लगभग 24 करोड़ डॉलर का आयात प्रभावित हुआ। सितंबर 2023 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाशिंगटन गए और दोनों देशों के बीच डब्ल्यूटीओ में 6 विवादों को खत्म करने पर सहमति बनी, तो उसके बाद भारत ने बढ़ा हुआ टैरिफ वापस लिया था।
द्विपक्षीय व्यापार पर असर
अजय श्रीवास्तव के अनुसार, “भारत की यह कार्रवाई ऐसे समय हुई है जब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बात चल रही है। इस जवाबी कार्रवाई का उस वार्ता पर भी असर हो सकता है। हालांकि भारत का कदम डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक है, जबकि अमेरिका की कार्रवाई एकतरफा थी। भारत का यह कदम स्टील और एल्युमीनियम जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील और रोजगार वाले सेक्टर में भारत के कड़े रुख को भी दर्शाता है। यह मेक इन इंडिया रणनीति के अनुरूप भी है।”
आगे क्या होने की संभावना है
बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि वाशिंगटन की जवाबी कार्रवाई क्या होती है। अगर अमेरिका बातचीत के लिए राजी होता है या अपने फैसले को वापस लेता है तो दोनों देश किसी समाधान पर पहुंच सकते हैं। ऐसा नहीं होने पर जून की शुरुआत में भारत का जवाबी टैरिफ लागू हो जाएगा। इससे अमेरिकी निर्यात तो प्रभावित होगा ही, दोनों देशों के बीच व्यापार में तनाव भी बढ़ सकता है। श्रीवास्तव के अनुसार, “जो भी हो, भारत का यह कदम दर्शाता है कि वह वैश्विक व्यापार नियमों के दायरे में रहकर अपने आर्थिक हितों की रक्षा कर सकता है।”