नई दिल्ली: इजरायल पर हमास के भीषण आतंकवादी हमले के बाद शुरू हुए जंग की ओर साफ इशारा करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि विश्व में कहीं भी और किसी भी रूप में आतंकवाद मानवता के खिलाफ है। दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ सख्ती बरतनी ही होगी।
आतंकवाद की परिभाषा पर वैश्विक सहमति नहीं बन पाने का मुद्दा उठाते हुए पीएम ने कहा कि टकरावों और संघर्षों से रूबरू हो रही विभाजित दुनिया बड़ी वैश्विक चुनौतियों का समाधान नहीं दे सकती। उन्होंने कहा कि भारत दशकों से सीमा पार आतंकवाद का शिकार रहा है। अब दुनिया को अहसास हो रहा है कि आतंकवाद विश्व के लिए कितनी बड़ी चुनौती है।
‘लोकतांत्रिक जन-भागीदारी से बेहतर कोई दूसरा माध्यम नहीं’
शांति और भाईचारे के साथ मिलकर विश्व पर आए संकट को खत्म करने का आहृवान करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया की चुनौतियों से निपटने के लिए लोकतांत्रिक जन-भागीदारी से बेहतर कोई दूसरा माध्यम नहीं हो सकता।
प्रधानमंत्री मोदी ने G20 देशों के संसद के अध्यक्षों के यशोभूमि में शुरू हुए दो दिवसीय सम्मेलन पी-20 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया के अलग-अलग कोनों में जो कुछ भी घट रहा है, उससे आज कोई भी अछूता नहीं है। संकटों से जूझ रही दुनिया किसी के भी हित में नहीं है। मानवता के सामने जो बड़ी चुनौतियां हैं, उनका समाधान एक बंटी हुई दुनिया नहीं दे सकती।
इजरायल पर हमास के आतंकी हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ दुनिया में उठ रहे स्वरों के बीच पीएम मोदी ने कहा कि भारत दशकों से सीमा पार आतंकवाद से जूझ रहा है, जिसमें हजारों निर्दोषों की जान गई है। करीब 20 साल पहले आतंकियों की योजना सांसदों को बंधक बना उन्हें खत्म करने की थी। अब दुनिया को भी एहसास हो रहा है कि आतंकवाद उसके लिए कितनी बड़ी चुनौती है।
पीएम ने कहा कि आतंकवाद चाहे कहीं किसी रूप में हो वो मानवता के खिलाफ होता है और हमें इसके विरूद्ध लगातार सख्ती बरतनी ही होगी। हालांकि, इसको लेकर वैश्विक एकजुटता की कमजोर कड़ी को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद की परिभाषा पर आम सहमति न बन पाना बहुत दुखद है। दुनिया के इसी रवैये का मानवता के दुश्मन फायदा उठा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया-भर की संसदों के प्रतिनिधियों को आंतकवाद के विरुद्ध इस लड़ाई में मिलकर काम करने के लिए सोचना चाहिए। जनभागीदारी इसका सबसे बेहतर माध्यम है और उनका मानना है कि सरकारें चाहे बहुमत से बनती हैं, पर देश सहमति से चलता है। उन्होंने कहा कि पी-20 फोरम दुनिया में इस भावना को सशक्त कर सकती है।
पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक विश्वास के संकट को दूर कर मानव केंद्रित सोच पर आगे बढ़ना होगा। हमें विश्व को एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना से देखना होगा। इसी भाव से भारत ने अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का स्थाई सदस्य बनाने की पहल की।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत दुनिया के कई देशों के संसद के अध्यक्षों से रूबरू होते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए पांच हजार साल पूर्व से लेकर अब तक भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था की चर्चा की और कहा कि संसदीय परंपराओं की यह विकास यात्रा सिर्फ हमारी ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की धरोहर है।
मजबूत लोकतंत्र के साथ भारत के चुनाव में व्यापक जनभागीदारी की चर्चा करते हुए पीएम ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक 17 संसदीय आम चुनाव और 300 से ज्यादा विधानसभाओं के चुनाव हो चुके हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव ही नहीं कराता, बल्कि इसमें लोगों की भागीदारी भी लगातार बढ़ रही है और राजनीतिक प्रतिनिधित्व का ऐसा उदाहरण कहीं नहीं मिलेगा।
‘ईवीएम के इस्तेमाल से चुनाव में पारदर्शिता बढ़ी’
प्रधानमंत्री ने कहा कि ईवीएम के इस्तेमाल से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी है। अब वोटों की गिनती शुरू होने के कुछ ही घंटों के भीतर नतीजे घोषित हो जाते हैं। अगले साल होने जा रहे संसद के आम चुनाव में करीब एक अरब मतदाता वोट डालेंगे। पीएम ने पी-20 समिट में आए प्रतिनिधियों को भारत के अगले चुनाव को देखने आने का निमंत्रण भी दिया।
संसद-विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण देने संबंधी पारित अधिनियम की चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश के स्थानीय निकाय संस्थाओं के चुने हुए 32 लाख जन प्रतिनिधियों में आधी महिलाएं हैं और संसदीय आरक्षण इसे आगे बढ़ाएगा।