भारत बना विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: एक ऐतिहासिक उपलब्धि
आलम रिज़वी
भारत ने वैश्विक आर्थिक मंच पर एक नया इतिहास रचते हुए जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की हालिया ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक’ रिपोर्ट और नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम के बयान के अनुसार, भारत की नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 4.19 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, जो जापान की 4.18 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी से अधिक है। यह उपलब्धि भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो इसके आर्थिक सुधारों, नीतिगत स्थिरता और वैश्विक मंच पर बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है।
भारत की आर्थिक यात्रा
भारत की यह उपलब्धि रातोंरात हासिल नहीं हुई है। 1991 के आर्थिक सुधारों ने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एकीकरण की राह पर ला खड़ा किया। तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लाइसेंस राज को समाप्त किया गया, व्यापार प्रतिबंधों को कम किया गया और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया गया। इसके बाद से भारत ने लगातार आर्थिक प्रगति की है। 2014 में दसवें स्थान पर रही भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2019 में ब्रिटेन और फ्रांस को पीछे छोड़कर पांचवां स्थान हासिल किया और अब 2025 में जापान को पछाड़कर चौथे स्थान पर पहुंच गई है। आईएमएफ के अनुमानों के अनुसार, भारत की जीडीपी 2024 में 7% और 2025 में 6.5% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो इसे विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाता है। दूसरी ओर, जापान की अर्थव्यवस्था में ठहराव और जनसंख्या में कमी के कारण इसकी वृद्धि दर 2025 में केवल 1.1% रहने का अनुमान है।
इस उपलब्धि के पीछे प्रमुख कारक आर्थिक सुधार और नीतियां
भारत सरकार ने पिछले दशक में कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए हैं, जैसे कि जीएसटी, दिवालियापन संहिता (आईबीसी), मेक इन इंडिया, और डिजिटल इंडिया। इन सुधारों ने बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा दिया और विदेशी पूंजी को आकर्षित किया।
तेज जीडीपी वृद्धि
भारत की जीडीपी पिछले दशक में 105% बढ़ी है, जो विश्व में सबसे तेज वृद्धि दरों में से एक है। 2015 में भारत की जीडीपी 2.1 ट्रिलियन डॉलर थी, जो 2025 में 4.19 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई।
वैश्विक व्यापार और निवेश
भारत ने वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति मजबूत की है। जेपी मॉर्गन के ‘सरकारी उभरते बाजार बॉन्ड सूचकांक’ में भारत का प्रवेश और माइक्रॉन, सैमसंग जैसी कंपनियों का निवेश इसकी आर्थिक प्रगति को दर्शाता है।
आत्मनिर्भर भारत भारत ने दूध, गेहूं, चावल, चाय, और मसालों जैसे उत्पादों में विश्व में अग्रणी स्थान बनाया है। साथ ही, लौह अयस्क, कोयला, और टाइटेनियम जैसे संसाधनों ने औद्योगिक विकास को गति दी है।
चुनौतियां और भविष्य की राह
हालांकि भारत ने यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, लेकिन कुछ चुनौतियां अभी भी बाकी हैं। उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए प्रति व्यक्ति जीडीपी में सुधार पर ध्यान देने की आवश्यकता जताई है। भारत की प्रति व्यक्ति आय अभी भी 2,389 डॉलर है, जो विश्व में 136वें स्थान पर है। इसके अलावा, असंगठित क्षेत्र, बेरोजगारी, और बुनियादी ढांचे में निवेश की कमी जैसी चुनौतियां बरकरार हैं।भारत का अगला लक्ष्य 2030 तक जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के अनुसार, 2030 तक भारत की जीडीपी 7.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। केंद्र सरकार ने 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जिसके लिए निरंतर सुधार और निवेश की आवश्यकता होगी।
सामाजिक और वैश्विक प्रभाव
इस उपलब्धि ने न केवल भारत की आर्थिक ताकत को दर्शाया है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को भी मजबूत किया है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा, “हमारी योजना पर कायम रहने पर अगले ढाई-तीन साल में भारत जर्मनी को पीछे छोड़ देगा।” सोशल मीडिया पर भी इस उपलब्धि को लेकर उत्साह देखा गया, जहां कई यूजर्स ने इसे भारत की मेहनत और नीतिगत सुधारों का परिणाम बताया।
निष्कर्ष
भारत का विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना न केवल आर्थिक प्रगति का प्रतीक है, बल्कि यह 140 करोड़ भारतीयों की मेहनत और सरकार की दूरदर्शी नीतियों का परिणाम है। यह उपलब्धि भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करती है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय, रोजगार सृजन, और बुनियादी ढांचे में सुधार जैसे क्षेत्रों में अभी और प्रयासों की आवश्यकता है। यदि भारत इसी गति से प्रगति करता रहा, तो 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य भी असंभव नहीं है।