हरदोई: एच.सी.एल. फाउंडेशन ने बनासकांठा ज़िला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किया, जिसे बनास डेयरी (तटस्थ ज्ञान, कौशल, निष्पादन एवं वित्तीय आधार युक्त एशिया की सबसे बड़ी डेयरी) के नाम से भी जाना जाता है, अपने प्रमुख कार्यक्रम, एच.सी.एल. समुदाय के तहत डेयरी किसानों की आय में वृद्धि करेगा।
इस सहकार्य के परिणामस्वरूप बनास डेयरी के काम-काज का हरदोई के 11 प्रखंडों तक विस्तार किया जायेगा, जिससे 25,000 से अधिक दुग्ध उत्पादकों को लाभ होगा और उनकी आय और आजीविका बेहतर होगी। इसके अतिरिक्त, हरदोई में एक नई बल्क मिल्क चिलिंग यूनिट को खोलने की भी घोषणा की गई। किसानों को डेयरी के आधुनिक तौर-तरीकों, पशुओं के प्रबंधन और पशुओं की नस्ल में सुधार करने के प्रयासों में प्रशिक्षित किया जायेगा, ताकि दलालों के हस्तक्षेप को कम करते हुए उत्पादों के लिए विपणन प्लैटफॉर्म्स की पूरे वर्ष उपलब्धता और बेहतर मूल्य प्राप्त करने को सुनिश्चित किया जा सके।
श्री जी एस प्रियदर्शी (आई.ए.एस.), आयुक्त, ग्रामीण विकास; सुश्री सी. इंधुमती (आई.ए.एस.), प्रबंध निदेशक, यू.पी.एस.आर.एल.एम.; बनास डेयरी के कार्यकारी निदेशक ब्रिगेडियर विनोद बाजीया; श्री कामराज आर. चौधरी, मुख्य परिचालन अधिकारी, बनास डेयरी; और श्री आलोक वर्मा, परियोजना निदेशक, एच.सी.एल. समुदाय (एच.सी.एल. फाउंडेशन) की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के पश्चात उसका आदान-प्रदान किया गया। इस अवसर पर 5 ग्राम-स्तरीय डेयरी किसान संघों के सचिवों को भी सम्मानित किया गया।
2019 में तीन वर्षों के लिए इस प्रारंभिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए और कोविड-19 महामारी के दौरान भी 12,000 से अधिक दुग्ध उत्पादकों को सतत आय प्रदान की। इस समय, लगभग 190 डेयरी किसान संघ इस परियोजना में शामिल हैं, जो प्रतिदिन औसतन 40,000 लीटर दूध एकत्र करते हैं। इस अवधि के दौरान, 308 लाख लीटर दूध और रु. 131.86 करोड़ की आय अर्जित की गई। दुग्ध उत्पादक औसतन रु. 6000 से अधिक की मासिक आय अर्जित करते हैं। दूध की खरीद के अलावा, 10,000 से अधिक किसानों ने डेयरी प्रबंधन के सबसे अच्छे तौर-तरीकों का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
एच.सी.एल. समुदाय की अपनी स्वयं की पशु चिकित्सा टीम द्वारा 2,643 बाँझ पशुओं के लिए 14,769 जुगाली करने वाले बड़े पशुओं को चिकित्सा प्रदान करने हेतु 187 से अधिक निवारक स्वास्थ्य शिविर और 197 एफ.आई.पी. (उर्वरता सुधार योजना) शिविर आयोजित किए गए हैं। इस साझेदारी के पहले तीन वर्षों के दौरान दुग्ध उत्पादकों को विभिन्न चारों जैसे मक्खन घास और अज़ोला आदि के विषय में जानकारी प्रदान की गई। इस सहकार्य का सबसे महत्वपूर्ण लाभ कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान स्पष्ट रूप से सामने आया, जिसने दुग्ध उत्पादन ने गाँव के लोगों को आर्थिक राहत प्रदान की। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान प्रतिदिन आधार पर का