ओपीडी में 70 प्रतिशत मरीज उल्टी, दस्त, पेट खराब के

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अवधनामा संवाददाता

मनुष्य के पास तापमान नियंत्रण के उपाय सीमितबरतें सावधानी

आंतरिक तापमान बढऩा शरीर के लिए घातक

 

ललितपुर। इन दिनों लू व गर्मी के कारण ओपीडी में 70 प्रतिशत मरीज उल्टी, दस्त, पेट खराब, सीने में जलन व बुखार के आ रहे हैं। यह कहना जिला अस्पताल में नियुक्त फिजिशियन डा अम्बिका प्रसाद दुबे का है। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में इलाज कराने के लिए मरीजों की संख्या बढ़ रही हैं। इस स्थिति में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। धूप में अनावश्यक न निकले। अधिक पानी व पेय पदार्थ पिए। दस्त होने पर नींबू पानी व ओआरएस का पैकेट लें। विशेषज्ञों के मुताबिक, मनुष्य के पास तापमान नियंत्रण के उपाय सीमित हैं। जब शरीर गर्म होता है तो पसीना निकलने से शरीर ठंडा होता है पर जब पसीना ज्यादा निकलता है तो शरीर का निर्जलीकरण हो जाता है,साथ ही आंतरिक तापमान बढ़ जाता है जो घातक होता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिला अस्पताल में 06 मई को 258, 07 मई को 267, 09 मई को 311 मरीज पहुंचे। जिला स्तर पर हीट वेव से निपटने हेतु कंट्रोल रूम की स्थापना की जा रही है, जिसमे त्वरित चिकित्सा व्यवस्था के लिए चिकित्सीय दल एवम आवश्यक औषधि मौजूद रहेगी। कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डा.सौरभ सक्सेना ने बताया कि हमारा शरीर वातावरणीय गर्मी को अवशोषित कर लेता है, जिससे शरीर का तापमान बढ़ जाता है। यदि वायुमंडल में नमी की मात्रा अधिक हो तो परिणाम और भी घातक हो सकते हैं।

लू के लक्षण

सिर में भारीपन व दर्द का होना,कमजोरी महसूस होना, तेज बुखार के साथ मुंह सूखना, चक्कर और उल्टी आना,  शरीर का तापमान अधिक होने के बाद पसीना नहीं आना अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना, भूख कम लगना,  बेहोश होना।

लू एवं गर्म हवा में यह बरतें सावधानी

महामारी विशेषज्ञ डा देशराज ने बताया कि लू से जन-हानि भी हो सकती है। इसके असर को कम करने के लिए और लू से होने वाली मौत की रोकथाम के लिए सावधानियाँ बरतना आवश्यक है। धूप में बाहर न निकले,खासकर दोपहर 12 से 3 बजे तक के बीच में। जितनी बार हो सके पानी पियें, प्यास न लगे तो भी पानी पियें। हल्के रंग के ढीले ढीले सूती कपड़े पहनें। धूप से बचने के लिए गमछा, टोपी, छाता, धूप का चश्मा जूते और चप्पल का इस्तेमाल करें। सफर में अपने साथ पानी रखें। शराब, चाय, कॉफी जैसे पेय पदार्थों का इस्तेमाल न करें यह शरीर को निर्जलित कर सकते हैं। अगर आपका काम बाहर का है तो टोपी, गमछा सा छाते का इस्तेमाल जरूर करे ओर गीले कपड़े को अपने चेहरे, सिर और गर्दन पर रखें। अगर आपकी तबियत ठीक न लगे या चक्कर आए तो तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें। घर में बना पेय पदार्थ जैसे कि लस्सी, नमक चीनी का घोल, नींबू पानी, छांछ, आम का पना इत्यादि का सेवन करें। अपने घर को ठण्डा रखें, पर्दे, शटर आदि का इस्तेमाल करें। रात में खिड़कियाँ खुली रखें। ढीले कपड़े का उपयोग करें। ठंडे पानी से नहाए। खाना बनाते समय कमरे के दरवाजे के खिड़की एवं दरवाजे खुले रखें जिससे हवा का आना जाना बना रहे। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से बचें। संतुलित, हल्का व नियमित भोजन करें। बासी भोजन न करें। खिड़कियों व दरवाजों पर जिनसे दोपहर के समय गर्म हवाएँ आती है, काले पर्दे लगाकर रखना चाहिए। स्थानीय मौसम के पूर्वनुमान को सुनें और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सतर्क रहें। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लें। जहां तक सभव हो घर में ही रहे तथा सूर्य के सम्पर्क से बचें। सूर्य के ताप से बचने के लिए जहाँ तक संभव हो पर की निचली मंजिल पर रहें।

 

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