प्रभागीय वन अधिकारी के मुताबिक पशु चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम के बाद प्रथमदृष्टया चमगादड़ों की मृत्यु अत्यधिक गर्मी और लू के कारण होना बताया है। अंतिम जांच के लिए बिसरा सुरक्षित रख लिया गया है जिसे भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली या राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भोपाल भेजा जाएगा। ललितपुर में तापमान 46 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है।
आसमान से बरस रहा ताप इंसानों ही नहीं पशु-पक्षियों को भी झुलसा रहा है। ललितपुर जिले के जाखलौन और दैलवारा गांव में गर्मी से सैकड़ों चमगादड़ों ने दम तोड़ दिया। पोस्टमार्टम के बाद मृत चमगादड़ों को दफनाया गया।
प्रभागीय वन अधिकारी के मुताबिक पशु चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम के बाद प्रथमदृष्टया चमगादड़ों की मृत्यु अत्यधिक गर्मी और लू के कारण होना बताया है। अंतिम जांच के लिए बिसरा सुरक्षित रख लिया गया है, जिसे भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली या राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल भेजा जाएगा।
बांदा में 120 चमगादड़ मरे पाए गए थे
इससे पहले बुधवार को बांदा जिले के अतर्रा में भी 120 चमगादड़ मरे पाए गए थे। ललितपुर में तापमान 46 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। इससे आमजन के साथ पशु-पक्षी भी व्याकुल हैं।
बरगद के पेड़ के नीचे मृत मिले चमगादड़
कस्बा जाखलौन में जानकी कुंड (तलैया) के किनारे विशालकाय प्राचीन बरगद के पेड़ पर सैकड़ों चमगादड़ रहते हैं। गुरुवार सुबह कुछ लोग उधर से निकले तो पेड़ के नीचे कई चमगादड़ मृत पड़े दिखे। काफी संख्या में चमगादड़ पेड़ पर भी मृत लटके थे।
क्षेत्रीय वनाधिकारी भोला प्रसाद सिंह और पशु चिकित्सक डॉ. राजवर्धन भी वहां पहुंच गए। इधर, वन अधिकारी जाखलौन के मृत चमगादड़ों की जांच कर ही रहे थे कि सूचना मिली कि ग्राम दैलवारा में तालाब के किनारे लगे आम के पेड़ के नीचे बड़ी संख्या में चमगादड़ मरे पड़े हैं। वहां भी अधिकारियों ने जांच की।
उप प्रभागीय वनाधिकारी (ललितपुर) डॉ. शिरीन ने बताया कि 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान में चमगादड़ों के लिए जीवन का खतरा रहता है। बीते चार-पांच दिन से लगातार तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच रहा है। इस कारण चमगादड़ों की मौत हुई।
इधर, भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान, बरेली के वन्य जीव विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अभिजीत पावड़े ने बताया कि चमगादड़ों का थर्मोरेगुलेटरी मैनेजमेंट सिस्टम मनुष्यों की तरह ही होता है। यानी, वे हमारी तरह बहुत अधिक या बहुत कम तापमान को बर्दाश्त नहीं कर पाते। चमगादड़ों की संरचना अन्य पक्षियों से भिन्न होती है। 40 डिग्री सेल्सियस तक चमगादड़ संघर्ष कर सकते हैं, इसके बाद यदि ठंडा स्थान न मिले तो मृत्यु हो सकती है। कई बार चमगादड़ों का पुराना घर उजड़ जाए तो वे नए ठिकाने में खुद को नहीं ढाल पाते। इस कारण भी एक साथ कई की मृत्यु हो जाती है।